उत्तर प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में भारतीय जनता पार्टी के टिकट दिलाने को लेकर दो नेताओं द्वारा मोटी रकम उगाही गई है। रकम का हिस्सा हाईकमान तक पहुंचने के कयास लगाये जा रहे हैं, तभी यह दोनों न सिर्फ कार्रवाई से बचे हुए हैं, बल्कि दोनों का पार्टी में कद निरंतर बढ़ता जा रहा है, इन्हीं दोनों दलालों के कारण मजबूत भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संघर्ष करने की स्थिति में पहुंच गई है, इन दोनों दलालों पर अंकुश नहीं लगा, तो भाजपा की स्थिति और भी खराब होने की संभावनायें जताई जा रही हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन चुके यह दोनों दलाल चापलूसी के बल पर भाजपा में बड़े पदाधिकारी बन गये हैं और संयोग से दोनों ही बदायूं जिले के कस्बा उझानी के निवासी बताये जाते हैं। दोनों का ही राजनीति से दूर-दूर तक वास्ता नहीं रहा है, ऐसे में जनता से जुड़ाव होने का सवाल ही नहीं उठता, इनमें से एक एलआईसी का एजेंट रहा है और एक मृतक आश्रित ग्राम पंचायत अधिकारी बताया जाता है, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते इसे बर्खास्त कर दिया गया, तो एक शातिर व्यक्ति से मिल कर चिट फंड कंपनी चलाने लगा, जिसके सहारे लोगों का करोड़ों रुपया हड़प कर रातों-रात अरबपति बन गया, इस बीच यह दोनों ही भाजपा के नेताओं के आसपास मंडराने लगे, उन्हें न सिर्फ दलाली से रूपये पैदा कराने लगे, बल्कि कमसिन हसीनाओं को भाजपा नेत्री बनाने के नाम पर फंसा कर परोसने लगे, इस अदभुत कला के चलते कुछेक नेताओं के चहेते हो गये और उनकी सिफारिश पर इन दोनों को पद मिलते गये।
पिछले कुछ दिनों से इनमें से एक दलाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह के मंचों पर नजर आने लगा है, इतना होते ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों की इनके घर पर लाइन लगनी शुरू हो गई। सूत्र बताते हैं कि टिकट की लालसा में धनाढ्य लोगों ने इन दोनों दलालों की झोली गाड़ियों, सोना, चांदी और हीरों से भर दी हैं, इन दोनों ने टिकट दिलाने के नाम पर बसपाई अंदाज में करोड़ों रूपये जमा कर लिए हैं, जिसके बदले यह दोनों दलाल नेता ऐसे लोगों को टिकट दिलाने की पैरवी कर रहे हैं, जिनकी छवि जनता के बीच में बेहद खराब है। बताते हैं पिछले कुछ दिनों से यह दोनों दलाल आगरा के एक बड़े होटल में डेरा डाले रहते हैं और वहीं डील कर रहे हैं।
उक्त दोनों दलाल हाल-फिलहाल भाजपा में हावी नजर आ रहे हैं, इनके इशारे पर टिकट मिल रहे हैं, तभी मजबूत भाजपा अचानक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कमजोर नजर आने लगी है। इन दोनों दलालों को दरकिनार कर भाजपा लोकप्रिय और जनप्रिय लोगों को प्रत्याशी बना दे, तो अब भी हालात सुधर सकते हैं, वरना भाजपा को पसंद करने वाले मतदाता अन्य दल के जनप्रिय और लोकप्रिय प्रत्याशी को चुनने को मजबूर होंगे। उक्त दोनों दलालों की कारगुजारियों पर हाईकमान को तत्काल ध्यान देना होगा, वरना यह दोनों ऐसे कीचड़ हैं, जिसमें कमल खिलने की जगह सड़ जायेगा।
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