गोरखपुर में बच्चों के मरने की घटना पर उत्तर प्रदेश सरकार अब एक्शन में आ गई है। जाँच रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कथित रूप से नायक बनने का प्रयास करने वाले वाइस प्रिंसिपल और सुपरिंटेंडेंट डॉ. कफील अहमद को बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्स विभाग के नोडल अधिकारी पद से हटा दिया गया है, उनकी जगह डॉ. भूपेन्द्र शर्मा को पीडियाट्रिक्स विभाग का नया नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को पहले ही सस्पेंड कर दिया गया था। अम्बेडकर नगर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पीके सिंह को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यहाँ यह भी बता दें कि मेडिकल कॉलेज में हुई लापरवाही में डॉ. कफील की भूमिका मुख्य है, क्योंकि डॉ. कफील इंसेफिलाइटिस वार्ड के इंचार्ज थे, जबकि वे निजी अस्पताल पर ज्यादा ध्यान देते हैं, साथ ही निजी अस्पताल में एक नर्स का यौन उत्पीड़न करने का आरोप भी झेल रहे हैं।
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद निरीक्षण करने पहुंचे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने घोषणा करते हुए कहा कि बच्चों की मौत के मामले की गहन जांच कराई जायेगी, उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के लापरवाही बरतने के आरोपों को निरस्त करते हुए कहा कि सरकार की ओर से इस मामले में कोई लापरवाही नहीं हुई है। कांग्रेस नेताओं के बयान पर आदित्यनाथ योगी ने कहा कि कांग्रेस की संवेदना मर चुकी है। गोरखपुर में इंसेफ्लाइटिस की समस्या पर बोलते हुए कहा कि इसकी वजह से अब तक कई बच्चों की जानें गई हैं, जिसके विरुद्ध शुरू से लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 90 लाख बच्चों को वैक्सीन देकर लड़ाई की शुरुआत की है, इस पीड़ा के बारे में उनसे ज्यादा कोई नहीं जान सकता, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर को एम्स संस्थान दिया है।
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के प्रकरण को उत्तर प्रदेश सरकार के साथ केंद्र सरकार ने भी गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केन्द्रीय मंत्री भी प्रदेश सरकार के साथ जुटे हुए हैं। लखनऊ में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शनिवार को ही कह दिया था कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच करेगी और दोषियों को दंडित किया जायेगा। माना जा रहा है कि अभी और बड़ी करवाई होगी।
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