पंजाब के मोगा एवं उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित गीता भवन ट्रस्ट और गीता भवन पब्लिक स्कूल ट्रस्ट के चेयरमैन स्वामी सहज प्रकाश कोरोना से संक्रमित होने के बाद 13 नवंबर 2020 को ब्रह्मलीन हो गये थे। ब्रह्मलीन संत के ट्रस्ट पर मोगा व हरिद्वार में 800 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई जाती है, इसके अलावा उनकी करोड़ों रूपये की निजी संपत्ति भी है। बीमारी के दिनों में स्वामी सहज प्रकाश की सेवा करने वाली दो साध्वियों तृप्ता सरस्वती और सुखजीत सरस्वती का दावा है कि स्वामी सहज प्रकाश ने ट्रस्टी बनाने के बाद ट्रस्ट के अधीन मोगा व हरिद्वार की संपत्तियों की देख-रेख करने एवं निजी संपत्ति का मालिकाना अधिकार उन्हें दे दिया था। वसीयत तहसीलदार भूपिंदर सिंह ने 2 अक्टूबर को गीता भवन पहुंच कर रजिस्टर्ड करवाई थी, इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई थी। दावा है कि स्वामी कमल पुरी के वसीयत पर गवाह के रूप में हस्ताक्षर हैं, इस दौरान गीता भवन में नंबरदार के रूप में जगराज सिंह के उपस्थित रहने का भी दावा है।
उक्त कार्यकारिणी में मसाज बाबा के नाम से कुख्यात यौन उत्पीड़न का आरोपी संत पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद भी पदाधिकारी है। साध्वी तृप्ता सरस्वती का आरोप है कि कुख्यात संत संपूर्ण संपत्ति कब्जाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि ब्रह्मलीन स्वामी जी के सेवकों ने यौन उत्पीड़न के आरोपी कथित संत का अस्थि विसर्जन के दौरान हाथ तक नहीं लगने दिया था लेकिन, दबंग और बदमाश किस्म के लोगों के सहारे वह पहुंच गया था।
साध्वी तृप्ता सरस्वती ने एक ऑडियो और वीडियो जारी किया है, जिसको लेकर उनका दावा है कि चिन्मयानंद उन्हें फोन पर धमकाता है और ब्रह्मलीन स्वामी की संपत्तियों से दूर रहने को कहता है। ऑडियो में कह रहा है कि ट्रस्ट का अध्यक्ष वही बनेगा, उसका हर जगह प्रभाव है, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री भी उसके प्रभाव से दूर नहीं हैं। साध्वियों का कहना है कि चिन्मयानंद एक नौकर को ब्रह्मलीन स्वामी जी का उत्तराधिकारी बना कर करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा कर चुका है और उन्हें बेच रहा है। चिन्मयानंद की धमकी से दोनों साध्वियां दहशत में हैं, उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय दिलाने और सुरक्षा दिलाने की गुहार लगाई है।
यह भी बता दें कि उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में मुमुक्षु आश्रम हैं, जिसके अधीन शिक्षण संस्थायें चलती हैं, यहाँ के लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा से तेल लगवाते हुए नंगे चिन्मयानंद के तमाम वीडियो वायरल हुए थे। उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज हुआ था और एसआईटी घटित हुई थी। चिन्मयानंद जेल भी गया था। हालाँकि न्यायालय ने चिन्मयानंद को दोष मुक्त कर दिया, इसके अलावा चिन्मयानंद पर एक शिष्या ने वर्ष- 2011 में भी यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिया तो, विपक्ष ने जमकर बवाल किया था, यह मुकदमा अभी उच्च न्यायालय- इलाहबाद में विचाराधीन है, ऐसे चिन्मयानंद द्वारा धमकी देने पर साध्वियों का डरना स्वाभाविक ही है।
चिन्मयानंद का मुकदमा वापस लेकर भारतीय जनता पार्टी पहले ही काफी फजीहत करा चुकी है। अब चिन्मयानंद वीडियो में स्पष्ट कहता हुआ सुनाई दे रहा है कि ट्रस्ट का अध्यक्ष वही बनेगा और मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री उसके प्रभाव से बाहर नहीं हैं, ऐसा दावा करने वाले चिन्मयानंद के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई तो, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को भी आघात लग सकता है।
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