भाजपा के प्रत्याशियों को लेकर कार्यकर्ता बेहद उत्साहित थे, लेकिन प्रथम सूची आने के बाद कार्यकर्ता दोगुना मायूस नजर आने लगे हैं, क्योंकि हाईकमान ने जनभावनाओं के स्थान पर चापलूसी को अधिक महत्व दिया है। जिन-जिन क्षेत्रों में प्रत्याशी घोषित हुए हैं, उन सभी क्षेत्रों में कार्यकर्ता कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते नजर आ रहे हैं। बात बदायूं जिले की करें, तो यहाँ भी जनभावनाओं को महत्व नहीं देने के कारण उत्साह गायब हो गया है।
बदायूं सदर क्षेत्र में पूर्व विधायक महेश चन्द्र गुप्ता और पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल के बीच टिकट को लेकर कड़ा मुकाबला था। महेश संबंधों के बल पर आश्वस्त थे, वहीं रामसेवक जनसमर्थन को लेकर निश्चिंत थे, पर हाईकमान ने जनभावनाओं को दरकिनार कर संबंधों को अधिक महत्व दिया और महेश चन्द्र गुप्ता को प्रत्याशी घोषित कर दिया। महेश को टिकट देने के कारण और भी कई क्षेत्रों में गड़बड़ी होगी, क्योंकि हाईकमान को जाति और वर्ग के आधार पर लोकप्रिय व्यक्तियों को न चाहते हुए भी पीछे धकेलना पड़ेगा।
भाजपा की दुर्गति होती देख लोग वार्ष्णेय और माहौर का भी मुद्दा उछालने लगे हैं। बताते हैं कि महेश वार्ष्णेय हैं, पर सरनेम गुप्ता लगाते हैं, क्योंकि जिले में माहौर संख्या बल में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं। पिछले वर्षों में महेश को माहौर भी अपना नायक मानते रहे हैं, लेकिन इस बार दातागंज क्षेत्र से राजीव कुमार गुप्ता सशक्त दावेदार हैं, पर महेश चन्द्र गुप्ता के कारण ही दातागंज में राजीव कुमार गुप्ता को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है, जिससे इस बार लोग खुल कर कहने लगे हैं कि वार्ष्णेय के चक्कर में अब माहौर को पीछे धकेलना स्वीकार नहीं किया जायेगा। हालांकि चंद समर्थकों ने टिकट मिलने पर आज महेश चन्द्र गुप्ता का स्वागत भी किया, पर बात जनभावनाओं की करें, तो हाईकमान के निर्णय से अधिकांश लोग मायूस ही नजर आ रहे हैं।
शेखूपुर विधान सभा क्षेत्र में पूर्व राज्यमंत्री भगवान सिंह शाक्य बेहद लोकप्रिय हैं, उन्हें कांग्रेस जैसी लुप्त पार्टी से भी रिकॉर्ड मत मिले थे, लेकिन भाजपा ने उनके बेटे धर्मेन्द्र शाक्य को टिकट दिया है। हालांकि भगवान सिंह शाक्य ही बेटे को टिकट चाह रहे थे, पर बाप और बेटे के नाम का अंतर ही पार्टी को कमजोर करने को काफी है। माना जा रहा है कि भगवान सिंह शाक्य ही प्रत्याशी बनाये जाते, तो भाजपा निश्चित ही विजय प्राप्त करती।
बिसौली क्षेत्र में कुशाग्र सागर को प्रत्याशी घोषित किया गया है, इनकी ताकत इनके पिता पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर हैं और उनकी कमजोरी ज्योति कांड। हालाँकि ज्योति कांड पुराना हो गया है और आम जनता बहुत ज्यादा तूल भी नहीं देती अब, लेकिन यह सब चुनाव के समय ताजा होना स्वाभाविक ही है, जिसका सीधा नुकसान कुशाग्र को मिलेगा, इसके अलावा सपा, बसपा और भाजपा के प्रत्याशी एक ही जाति के हैं, जबकि भाजपा से दमयंती वर्मा भी टिकट मांग रही थीं, उन्हें अवसर देने से सवर्ण बड़ी संख्या में समर्थन दे सकते थे, साथ ही महिला प्रत्याशी होने के चलते अतिरिक्त लाभ मिल सकता था, पर हाईकमान ने हर क्षेत्र में जनभावनाओं को दरकिनार कर प्रत्याशियों की घोषणा की है, जिसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
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