बदायूं में भी भाजपा नेता फुल फॉर्म में आ गये हैं। राजनैतिक तौर पर मजबूती के साथ ताबड़तोड़ बदले लेने को भी आतुर नजर आ रहे हैं। भाजपा नेता सरकार बनने और मंत्रिमंडल का गठन होने का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं।
जी हाँ, यह बिल्कुल सच है। भाजपा के विधायकों और नेताओं की भुजायें राजनैतिक बदले लेने को फड़क रही हैं। भाजपाई सर्व प्रथम बनवारी सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई विधान परिषद की सीट कब्जाने में जुट गये हैं। हालाँकि जीतने में कोई संशय नहीं है, लेकिन प्रत्याशी को लेकर मंथन शुरू हो गया है। पिछली बार सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े बनवारी सिंह यादव को भाजपा प्रत्याशी के रूप में डीपी यादव के भतीजे जितेन्द्र यादव ने कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन इस बार जितेन्द्र यादव को टिकट मुश्किल से ही मिलेगा।
उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष बीएल वर्मा को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। स्थानीय नेता उनके नाम पर एकजुट हैं, लेकिन अभी बीएल वर्मा ने सहमति नहीं दी है, उनकी सहमति के बाद पार्टी नेतृत्व को अवगत करा दिया जायेगा। बीएल वर्मा की भाजपा में बड़ी भूमिका है एवं वे कल्याण सिंह के प्रिय हैं, ऐसे में उन्हें विधान परिषद सदस्य का प्रत्याशी बनाया गया, तो एक-एक कार्यकर्ता और समूची सरकार उनके साथ खड़ी होगी।
इसके अलावा बिसौली क्षेत्र के नव-निर्वाचित भाजपा विधायक कुशाग्र सागर के पिता पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर के साथ चुनाव के दिन बदतमीजी की गई थी, जिससे राजनैतिक जंग व्यक्तिगत जंग में परिवर्तित हो गई है, दोनों ओर से मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं, ऐसे में व्यक्ति किसी भी हद तक जा सकता है। कुशाग्र के मुकाबले चुनाव हारे सपा प्रत्याशी आशुतोष मौर्य “राजू” की बहन मधू चन्द्रा जिला पंचायत सदस्य हैं, उनके विरुद्ध योगेन्द्र सागर अविश्वास प्रस्ताव अवश्य लायेंगे। अविश्वास प्रस्ताव दो वर्ष से पहले नहीं लाया जा सकता, यह समय एक-एक दिन गिन कर निकाला जायेगा। योगेन्द्र सागर की पत्नी प्रीती सागर जिला पंचायत सदस्य हैं। बड़े चुनाव में अब नगर निकाय के चुनाव होने हैं, भाजपाई नगर पालिका परिषद पर भी कब्जा करेंगे, इस समय बदायूं में आबिद रजा की पत्नी फात्मा रजा अध्यक्ष हैं।
सपा की सरकार में ब्लॉक प्रमुख पद भी कब्जाये गये थे। ब्लॉक प्रमुख चुनाव में अपमानित हुए लोगों ने भाजपा प्रत्याशियों को बड़ी लगन से लड़ाया था, वे भी बदला लेने को आतुर नजर आ रहे हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने का समय पूरा होते ही कई क्षेत्रों में अविश्वास प्रस्ताव लाया जायेगा, जिससे दबंगई के बल पर ब्लॉक प्रमुख चुने गये लोगों की नींद उड़ गई है। शहरी क्षेत्र में सोत नदी बड़ा मुद्दा बन चुकी है, जिसे कब्जा मुक्त कराने का महेश चन्द्र गुप्ता संकल्प ले चुके हैं। चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने कहा था कि सोत नदी कब्जा मुक्त कराने के बाद ही चैन से बैठेंगे। अगर, ऐसा ही हुआ, तो महेश चन्द्र गुप्ता सदियों तक याद किये जायेंगे, इससे पहले सपाई मानसिकता के अफसरों को हटाने और अपने चहेते अफसरों को तैनात कराने का अभियान चलेगा, जिसकी सूची तैयार की जा रही है।
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