उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में भाग लेना और उसमें विजय प्राप्त करना तो बहुत बड़ी बात है, फिलहाल भाजपा अपने योद्धा तक तय नहीं तय कर पा रही है। शुक्रवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन भाजपा के प्रत्याशियों पर अभी तक मंथन ही चल रहा है।
भाजपा हाईकमान एक-डेढ़ वर्ष से सर्वे करा रहा था। बताया जा रहा था कि इस बार सर्वे के आधार पर ही प्रत्याशी उतारे जायेंगे, इस दावे के चलते साफ-स्वच्छ छवि के लोगों का भी साहस बढ़ गया और मूल भाजपाई भी विधायक बनने का सपना देखने लगे, लेकिन प्रत्याशी घोषित करने का समय आया, तो हाईकमान के सभी दावे ध्वस्त हो गये।
प्रत्याशियों के चयन में गुटबाजी और सेटिंग ही आधार बनी हुई है। भाजपा के अंदर की तो बात ही छोड़िये, बाहरी लोग भी भाजपा में पूरा हस्तक्षेप करते नजर आ रहे हैं। कुछ शातिर पत्रकारों के सहारे टिकट लेने का प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली का एक पत्रकार चर्चाओं में बना हुआ है, जिसके दबाव के चलते भाजपा आधा दर्जन सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रही है।
गुरूवार को संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, तो बताया जा रहा था कि देर रात तक प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जायेगी, लेकिन रात में कहा गया कि अब शुक्रवार को घोषणा होगी और अब कहा जा रहा है कि शनिवार को घोषणा होगी, जबकि प्रथम चरण के अंतर्गत होने वाले चुनाव के लिए शुक्रवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन संभावित प्रत्याशी दिल्ली में केंद्रीय कार्यालय की परिक्रमा में ही जुटे हुए हैं।
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