बदायूं जिले में भारतीय जनता पार्टी का जिलाध्यक्ष बनने के लिए दावेदार रात-दिन एक किये हुए हैं, लेकिन हरीश शाक्य का जिलाध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। हालाँकि अंतिम निर्णय प्रदेश नेतृत्व को ही लेना है, पर हरीश शाक्य के मुकाबले कोई दमदार दावेदार नजर नहीं आ रहा है, जिससे प्रदेश नेतृत्व भी हरीश शाक्य के नाम पर मोहर लगाने को मजबूर होगा।
भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान में प्रेम स्वरूप पाठक जिलाध्यक्ष हैं, जिनका कार्यकाल पूर्ण हो चुका है और विधान के अनुसार वह पुनः जिलाध्यक्ष नहीं बन सकते, इसलिए नये जिलाध्यक्ष का चुनाव होना है। नये जिलाध्यक्ष के रूप में सबसे सशक्त नाम हरीश शाक्य का ही माना जा रहा है। हरीश शाक्य युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के साथ पार्टी में महामंत्री पद का दायित्व निभा चुके हैं एवं वर्तमान में जिला सदस्यता प्रमुख हैं, उनके नेतृत्व में कार्यकर्ता बनाने का अभियान चलाया गया, जो न सिर्फ सफल रहा, बल्कि प्रदेश नेतृत्व ने बदायूं जिले की टीम को पुरस्कृत भी किया। हरीश शाक्य की छवि पार्टी में एक मेहनती कार्यकर्ता के रूप में मानी जाती है, लेकिन स्थानीय नेताओं में गुटबंदी के चलते अधिकांश नेता हरीश शाक्य के नाम पर एकमत नहीं हैं।
सूत्रों का कहना है कि जिलाध्यक्ष बनने के लिए पूर्व विधायक दयासिन्धु शंखधार भी दावेदारी पेश कर रहे हैं, लेकिन वे पार्टी के प्रति वफादार नहीं रहे हैं, वे समाजवादी पार्टी में चले गये थे, जिससे प्रदेश नेतृत्व उनके नाम पर विचार करने को तैयार नहीं है। दावेदारों में रजनीश पटेल, अशोक भारती और हरिओम पाराशरी का भी नाम बताया जा रहा है, लेकिन वर्तमान जिलाध्यक्ष प्रेम स्वरूप पाठक, बरेली क्षेत्र के अध्यक्ष बीएल वर्मा और पूर्व विधायक महेश चंद्र गुप्ता हरीश शाक्य को जिलाध्यक्ष बनाने के पक्ष में हैं, जिससे हरीश शाक्य का ही पलड़ा भारी हो जाता है, साथ ही संगठन में कार्य करने के अनुभव की तुलना की जाये, तो भी हरीश शाक्य सभी दावेदारों पर भारी नजर आ रहे हैं, लेकिन हरीश शाक्य के नाम पर पूर्व राज्यमंत्री भगवान सिंह शाक्य, पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल, युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष कुलदीप वार्ष्णेय सहित अधिकांश नेता और पदाधिकारी खुश नजर नहीं आ रहे हैं, इसलिए कल सोमवार को चुनाव अधिकारी अनिल तिवारी बदायूं पहुंच कर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करेंगे और सर्वसम्मति से जिलाध्यक्ष चुनने का रास्ता बनाने का प्रयास करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि स्थानीय नेताओं की राय एक नहीं हुई, तो प्रदेश नेतृत्व ही निर्णय लेगा और अगर, ऐसा ही हुआ, तो भी हरीश शाक्य का जिलाध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। यहाँ यह भी बता दें कि जातीय दृष्टिकोंण से हरीश शाक्य को जिलाध्यक्ष बनाने से पार्टी को बड़ा लाभ मिल सकता है, क्योंकि बदायूं जिले के अधिकांश विधान सभा क्षेत्रों में शाक्य/मौर्य जाति चुनाव प्रभावित करने की स्थिति में है, जिसका सीधा असर आने वाले विधान सभा चुनाव में पड़ेगा।
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