बदायूं जिले के सहसवान विधान सभा क्षेत्र से भाजपा द्वारा जितेन्द्र यादव का टिकट काट देने से भाजपा कार्यकर्ता बेहद आक्रोश में हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि हाईकमान के निर्णय की जानकारी जिला स्तरीय पदाधिकारियों को भी नहीं थी। सूत्रों का कहना है कि एक कॉल रिकॉर्डिंग के चलते प्रत्याशी बदला गया है।
सहसवान विधान सभा क्षेत्र से डीपी यादव के भतीजे जितेन्द्र यादव को भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया था, लेकिन नामांकन के अंतिम दिन भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया, इस निर्णय को लेकर कई तरह की चर्चायें की जा रही हैं। एक चर्चा यह है कि जितेन्द्र यादव को टिकट दिलाना डीपी यादव के परिवार की रणनीति थी, जिसके तहत कुनाल यादव अपने रापद से चुनाव लड़ते और जितेन्द्र यादव उनके पक्ष में स्वयं को चुनाव से अलग कर लेते, जिससे कुनाल को लाभ होता।
दूसरी चर्चा यह है कि भाजपा के प्रत्याशी तय करने वाले एक बड़े पदाधिकारी की कॉल एक व्यक्ति के मोबाईल में रिकॉर्ड है, जिसमें पदाधिकारी को एक करोड़ रुपया और नोयडा में एक जमीन का प्लाट देने की वार्ता है, इस कॉल रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक करने की चेतावनी दी गई थी, जिससे हाईकमान में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में प्रत्याशी बदल दिया गया, तभी जिला स्तरीय, क्षेत्रीय और प्रांतीय नेतृत्व को भी प्रत्याशी बदलने की भनक तक नहीं लगी।
भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य ने अनभिज्ञता जताते हुए स्पष्ट कहा कि केंद्रीय नेतृत्व का निर्णय गलत है, इससे पार्टी को बड़ा नुकसान होगा। हाईकमान के ब्लैकमेल होने की बात इसलिए सटीक लग रही है कि प्रत्याशी बदलने का कोई कारण नजर नहीं आ रहा। जितेन्द्र यादव को जनता ने हाथों-हाथ लिया था, वहीं जितेन्द्र पिछला एमएलसी चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ चुके हैं, इसके अलावा भाजपा की नीति थी कि एक जिले में एक जाति के दो प्रत्याशी नहीं उतारेगी, लेकिन आशुतोष वार्ष्णेय सहित अब बदायूं जिले में वैश्य समाज के दो प्रत्याशी हो गये। अगर, यह चर्चा गलत है, तो डीपी यादव के परिवार की रणनीति का खुलासा होने की बात सही मानी जायेगी।
खैर, जो भी सही, हाल-फिलहाल जिले की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। जितेन्द्र के समर्थक आक्रोशित नजर आ रहे हैं। पूर्व जिलाध्यक्ष प्रेम स्वरूप पाठक के आवास पर मौजूद वर्तमान जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य और अन्य तमाम पदाधिकारियों को जितेन्द्र के समर्थकों ने जमकर खरी-खोटी भी सुना दी। समर्थकों व भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिला स्तर से लेकर प्रांतीय नेतृत्व व ओम माथुर तक पर रूपये लेने का आरोप मढ़ा है।
भाजपा के निर्णयों को लेकर कार्यकर्ता पहले से ही खुश नहीं था, अब जितेन्द्र का टिकट कटने से भाजपा की और भी बुरी स्थिति हो गई है। सहसवान के साथ बिल्सी और बिसौली क्षेत्र में भी भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। भाजपा डीपी यादव को भी अपमानित करती रही है और अब उनके परिवार के साथ भी वही सब दोहरा रही है। हाल-फिलहाल बदायूं में जितेन्द्र यादव के अलावा संभल जिले में डीपी के साले भारत सिंह यादव और भतीजे राजेन्द्र यादव को भी सर्वे में नंबर- वन होने के बावजूद टिकट नहीं दिया, यहाँ सवाल यह उठता है कि भाजपा को यही सब करना होता है, तो भाजपा डीपी के परिवार के सदस्यों को प्राथमिक सदस्य ही क्यों बनाती है?
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जितेन्द्र यादव का टिकट कटने पर आक्रोश व्यक्त करते भाजपा कार्यकर्ता