बिहार की राजधानी पटना स्थित गांधी मैदान में राष्ट्रीय जनता दल की 27 अगस्त को आयोजित होने वाली ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली से अधिकांश नेता किनारा कर गये हैं। सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और मायावती रैली में नहीं जायेंगे। कांग्रेस पूरी तरह बिगाड़ना भी नहीं चाहती, इसलिए गुलाम नबी आजाद और सीपी जोशी रैली में पहुंच सकते हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जद (यू) के बागी नेता शरद यादव रैली में मौजूद रह सकते हैं, वहीं रैली में शामिल होने के लिए सांसद धर्मेन्द्र यादव पटना पहुंच चुके हैं।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने रैली को भले ही ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ नाम दिया हो, लेकिन रैली को उनके व्यक्तिगत शक्ति प्रदर्शन और बेटों को राजनीति में स्थापित करने के रूप में ही देखा जा रहा है, इसीलिए उनकी व्यक्तिगत ब्रांडिंग करने के लिए सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने आना जरूरी नहीं समझा, लेकिन राजनैतिक दृष्टि से संदेश गलत न जाये और संबंध भी खराब न हों, इसलिए गुलाम नबी आजाद और सीपी जोशी को भेजा जा रहा है। मायावती ने यह कह कर रैली में जाने से मना कर दिया कि जब तक सीटों के बारे में स्पष्ट नहीं होगा, तब तक मंच साझा नहीं कर सकते। मायावती को राज्यसभा भेजने का लालू प्रसाद यादव अपनी ओर से ही दावा करते रहे हैं, ऐसे में मायावती का रैली में न जाना बड़ी बात है। शायद, वे उत्तर प्रदेश से मिले सबक को भूली नहीं हैं, तभी वे इतिहास को बिहार में दोहराने से बचना चाहती हैं।
समाजवादी पार्टी अब अखिलेश यादव की है, इसलिए अब उनके ही दिशा-निर्देश चल रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने में सबसे बड़े रोड़ा बने लालू प्रसाद यादव को मुलायम सिंह यादव कोई राजनैतिक लाभ नहीं लेने देते, पर अब उनसे संभवतः राय भी नहीं ली जाती, तभी अखिलेश यादव स्वयं तो पहुंचेगे ही, उनसे पहले सांसद धर्मेन्द्र यादव पटना पहुंच चुके हैं। शरद यादव पार्टी और राजनीति में सबसे निचले पायदान पर पहुंच चुके हैं, ऐसे में उन्हें एक बड़ा मंच मिल रहा है, उनके लिए यही काफी है, वहीं अकेली जूझ रही ममता बनर्जी को एक ऐसे साथी की बहुत जरूरत है, जो बीच-बीच में उनके लिए आवाज उठाता रहे, यह काम लालू प्रसाद यादव से बेहतर कोई और नहीं कर सकता, वे इसलिए रैली में पहुंच सकती हैं, लेकिन बहुप्रतीक्षित रैली का रंग सोनिया, राहुल और माया के न आने ही उतर चुका है, वहीं बिहार के 19 जिले बाढ़ की गिरफ्त में हैं, ऐसे में संख्या बल जुटाना भी आसान काम नहीं है।
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