किरन कांत
विकास के लिए बाँध भले ही जरूरी हों, लेकिन बाँध के चलते ऐसा खतरा मंडरा है, जो कभी भी प्रलय का कारण बन सकता है। स्तब्ध कर देने वाली बात यह है कि 25 में से 23 बाँध खतरनाक हैं। माना जाता है कि कभी आशंका सच हो गई, तो उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में प्रलय जैसा भयानक दृश्य होगा।
उत्तराखंड की नदियों पर बने बाँध विनाशकारी हो सकते हैं। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि मनमोहन सरकार में बनी एक कमेटी का मानना है। एक हजार पन्नों की रिपोर्ट में कमेटी ने स्पष्ट लिखा है कि पर्यावरण और मानवता की दृष्टि से बाँध खतरनाक हैं। कमेटी का मानना है कि कभी वर्ष- 2013 जैसी आपदा, अथवा नेपाल जैसा भूकंप आया, तो टिहरी सहित श्रीनगर और उससे भी ऊपर बन रहे बाँध धराशाई हो जायेंगे।
भारत सरकार के एक्सपर्ट बॉडी मिनिस्ट्री इन्वायरमेंट के चेयरमैन रवि कपूर कहते हैं कि उत्तराखंड में आई आपदा के बाद केंद्र सरकार ने एक टीम यह जांचने के लिए बनाई कि बाँधों से पर्यावरण और पहाड़ों पर पड़ने वाले अंतर का पता करे, साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए थे कि नदियों पर बन रहे बाँध कितने सही और कितने गलत हैं, यह भी जांच की जाये।
रवि कपूर ने बताया कि उत्तराखंड में बने 25 में से 23 बाँध नहीं बनने चाहिए थे। टीम ने माना है कि जिस तकनीक से बाँध बनाये गये हैं, वो गलत है, विस्फोट करने से पहाड़ कमजोर हुए हैं और आसपास के गाँवों पर तो खतरा हर वक्त रहता है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि शिमला से लेकर उत्तराखंड और नेपाल तक बड़े भूकंप आ सकते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में दबाव बढ़ गया है। विस्फोट करने की तकनीकी भी गलत है। बाँधों से घाटी का तापमान बढ़ रहा है। पहाड़ों पर तेज बारिश होने से गांवों पर खतरा बढ़ जाता है।
भूकंप के अलावा आतंकियों और दुश्मन देश से भी बाँधों को खतरा है। माना जाता है कि टिहरी का बाँध किसी तरह टूटा, तो कई किमी प्रति घंटे की गति से कई फुट ऊंचा पानी सैकड़ों किमी दूर तक जायेगा, जो प्रलय लाने के लिए काफी है, ऐसे में बाँधों को लेकर सरकार को तत्काल सचेत हो जाना चाहिए और शीघ्र ही कोई ठोस नीति बनानी चाहिए, जिससे पहाड़, पर्यावरण और मानवता सुरक्षित रह सके।