कद्दावर नेता सदस्य और गुमनाम व्यक्ति बना उपाध्यक्ष

कद्दावर नेता सदस्य और गुमनाम व्यक्ति बना उपाध्यक्ष
पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल
पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल

भाजपा की बरेली क्षेत्र की कमेटी में रिक्त स्थान भर दिए गये हैं। नये पदाधिकारियों को लेकर तरह-तरह की चर्चायें चल पड़ी हैं। विरोध भी नजर आ रहा है, लेकिन भाजपा के अंदर हाल-फिलहाल अपने गले में घंटी बाँधने को कोई तैयार नहीं है।
बरेली क्षेत्र के भाजपा अध्यक्ष बी.एल.वर्मा ने बताया कि बदायूं जिले से जितेन्द्र सक्सेना को क्षेत्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष, मनोज मसीह को क्षेत्रीय मंत्री, राम सेवक सिंह पटेल और शारतेंदु पाठक को सदस्य बनाया गया है। इन नामों में जितेन्द्र सक्सेना और रामसेवक सिंह पटेल को लेकर तरह-तरह की चर्चायें की जा रही हैं।
भाजपा में जितेन्द्र सक्सेना एक दम नया नाम है, जो पिछले कुछ दिनों से भाजपा के होर्डिंग्स पर अचानक से नजर आने लगा है। प्रचार माध्यमों में जितेन्द्र कश्यप का नाम व फोटो देख कर लोग यही समझ रहे थे कि कोई भी धनाढ्य व्यक्ति ऐसा कर सकता है, लेकिन क्षेत्रीय कमेटी में उपाध्यक्ष का दायित्व मिलने पर लोग स्तब्ध रह गये। तरह-तरह की चर्चायें होने लगीं कि अचानक से अवतरित हुए व्यक्ति को उपाध्यक्ष कैसे बना दिया गया। सूत्रों का कहना है कि जितेन्द्र सक्सेना बदायूं के उपनगर उझानी के मोहल्ला किला खेड़ा के रहने वाले हैं, इनके पिता ग्राम पंचायत अधिकारी थे, किसी तरह उनकी कार्यकाल के दौरान ही मृत्यु हो गई, तो उनकी जगह मृतक आश्रित के रूप में जितेन्द्र सक्सेना को नौकरी मिल गई, लेकिन कुछ दिन बाद जितेन्द्र सक्सेना एक प्राइवेट कंपनी से जुड़े नजर आने लगे। उन्होंने नौकरी स्वयं छोड़ दी या उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई हुई है, इसका आम लोगों को पता नहीं है। लोगों को इतना ही पता है कि वे अब करोड़पति हैं और उनके नोयडा, गाजियाबाद, दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों में कारोबार हैं, जो भी सही, लेकिन भाजपा में उनके योगदान को लेकर चर्चायें हो रही हैं कि कुछ महीनों पुराने आम कार्यकर्ता को उपाध्यक्ष कैसे बना दिया गया?
उधर रामसेवक सिंह पटेल बिनावर विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ सदस्य बनाया गया है। एक तरह से यह रामसेवक सिंह पटेल के कद को घटाना ही है। इसी मुददे पर लोग चर्चा कर रहे हैं, लेकिन अभी खुल कर विरोध करने की स्थिति में भाजपा में कोई नहीं है, लेकिन लोग यह तक कहने लगे हैं कि विधान सभा चुनाव में टिकट वितरण भी ऐसे ही हुआ, तो बहुमत तो दूर की बात भाजपा उत्तर प्रदेश में विपक्ष का भी दर्जा प्राप्त नहीं कर पायेगी।

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