उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव में अभी समय है, लेकिन सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजनैतिक दल और संभावित प्रत्याशी अपने पक्ष में गोटियाँ बैठाने लगे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को बदायूं जिले में नैया पार लगाने वाले प्रत्याशी नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे कार्यकर्ता मायूस नजर आ रहे हैं।
बदायूं जिले में छः विधान सभा क्षेत्र हैं, जिनमें शहर विधान सभा क्षेत्र से सशक्त प्रत्याशी माने जा रहे पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल के अलावा शेष क्षेत्रों में भाजपा के पास चुनाव को रोचक बनाने लायक प्रत्याशी नहीं हैं। शेखूपुर विधान सभा क्षेत्र से पूर्व राज्यमंत्री भगवान सिंह शाक्य भाजपा के सशक्त प्रत्याशी माने जा रहे हैं, लेकिन इस बार वे स्वयं पीछे हट गये हैं और बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं, उनके बेटे को दमदार प्रत्याशी नहीं माना जा रहा।
दातागंज क्षेत्र से दातागंज के चेयरमैन व भाजपा जिला उपाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता सशक्त प्रत्याशी माने जा रहे हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी छोड़ कर भाजपा में हाल ही में सम्मलित हुए शैलेश पाठक को हाईकमान ने चुनाव लड़ाने का आश्वासन दे दिया है। शैलेश पाठक मूल रूप से कांग्रेसी हैं। प्रदेश में सरकार बनने पर सपा में आ गये थे, जिससे क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस नेता के रूप में विरोध में खड़े होने वाले परिवार के शैलेश पाठक को भाजपा कार्यकर्ता भाजपा नेता कैसे स्वीकार कर लें?
बिसौली क्षेत्र से पूर्व भाजपा प्रत्याशी मेजर कैलाश भाजपा छोड़ कर भाग गये और हाथी पर सवार हो गये। बसपा से यौन शोषण के आरोप में फंसे पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर निकाले जा चुके हैं। सामंती व्यवस्था की तरह ही वे अपने बेटे कुशाग्र को भाजपा से टिकट दिलाना चाहते हैं, जो बेहद कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा है।
ठाकुर बाहुल्य बिल्सी विधान सभा क्षेत्र से जिले के ही नहीं, बल्कि जिले के बाहर के भी ठाकुर चुनाव लड़ना चाहते हैं। जिस ठाकुर के पास एक-दो लाख रूपये का बैलेंस है, वह बिल्सी क्षेत्र से विधायक बनने को लालायित है, जिससे यहाँ ठाकुर जाति के दावेदारों की लंबी सूची है, जिनमें जनाधार विहीन राजेश कुमार सिंह सबसे आगे बताये जा रहे हैं। अल्प समय में ही धनाढ्य हुए अनूप कुमार सिंह और यौन शोषण के आरोपों से घिरे उमेश कुमार सिंह भी दावेदारी ठोंके हुए हैं। बसपा से निष्कासित होने के बाद हाल ही में एमएलसी चुनाव के दौरान भाजपा में सम्मलित हुए जितेन्द्र यादव से विधान सभा चुनाव में टिकट न मांगने को कह दिया गया था, लेकिन वे भी दावेदार बने हुए हैं।
सहसवान विधान सभा क्षेत्र से सपा के मंच से उतर पर अप्रत्याशित अंदाज में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में सम्मलित होने वाले दयासिंधु शंखधार टिकट मांग रहे हैं, जो बेहद कमजोर प्रत्याशी माने जा रहे हैं, जिससे हाईकमान ने उनके नाम पर विचार करना ही छोड़ दिया है। सूत्रों का कहना है कि भाटी हत्या कांड के आरोपी जेल में सजा काट रहे कुख्यात बाहुबलि व धनबलि डी.पी. यादव की पत्नी उमलेश यादव और उनके बेटे कुणाल यादव भाजपा से गोपनीय समझौता करना चाहते हैं, जिसके अंतर्गत वे राष्ट्रीय परिवर्तन दल का भाजपा में विलय करेंगे और भाजपा बिल्सी, सहसवान, दातागंज और बिलारी क्षेत्र में उनके प्रत्याशी लड़ाये। सूत्रों का कहना है कि हाईकमान सहसवान क्षेत्र से टिकट देने को तैयार है, जबकि अन्य क्षेत्रों में टिकट देने को स्पष्ट मना कर दिया गया है।
कुल मिला कर भाजपा के पास शुद्ध भाजपा प्रत्याशियों का टोटा है। भाजपा कैडर के नेताओं को लगता है कि उन्हें टिकट नहीं मिलेगा, सो वे टिकट ही नहीं मांग रहे। टिकट लेने वालों की लाइन में धनाढ्य, अवसरवादी और बेहद खराब छवि के नेता हैं, जिनके सहारे भाजपा चुनावी वैतरणी पार करने से रही। लोगों का मानना है कि बदायूं जिले में गंदगी इस हद तक बढ़ गई है कि कमल का अस्तित्व ही समाप्त होने वाला है, इसलिए पहले सफाई की आवश्यकता है।
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