भारतीय जनता पार्टी ने सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष घोषित कर दिया है। जातिगत दृष्टि से निर्णय सही माना जा रहा है, लेकिन क्षेत्रीय दृष्टि से भाजपा में पूर्वांचल के नेताओं का दब-दबा बढ़ गया है, जबकि भाजपा को सत्ता दिलाने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, साथ ही उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा का दखल भी उधर ही है, ऐसे में एक बड़ा दायित्व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिस्से में आना चाहिए था, जिससे संतुलन बन जाता, लेकिन नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष का भी दायित्व गाजीपुर जिले के गाँव पखनपुर निवासी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को दे दिया, इसका भाजपा को दुष्परिणाम भी झेलना पड़ सकता है।
खैर, 15 अक्तूबर, 1957 को जन्मे महेंद्र नाथ पांडेय को राजनीति में कलराज मिश्रा लेकर आये थे, आरएसएस पृष्ठभूमि के महेंद्र नाथ पांडेय 1973 में सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक बने। 1978 में बीएचयू छात्र संघ के महामंत्री बने, वे बीएचयू से हिंदी में पीएचडी के साथ पत्रकारिता में परास्नातक हैं। आपातकाल के दौरान उन्हें डीआईआर के अंतर्गत जेल जाना पड़ा और फिर पांच महीने बाद निकले। राम जन्मभूमि आंदोलन के समय मुलायम सिंह यादव की सरकार में महेंद्र नाथ पांडेय पर रासुका के तहत कार्रवाई हुई थी।
भाजपा में महेंद्र नाथ पांडेय काशी क्षेत्र के अध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। 1980 में भाजपा की टिकट पर गाजीपुर जिले के सैदपुर विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा, पर हार गए, इसी क्षेत्र से 1984 में भी हार गए। 1991 में सैदपुर क्षेत्र से ही विधायक चुने गए। 1996 में पुनः विधायक चुने गये और फिर कल्याण सिंह की सरकार में पंचायती राज और नियोजन मंत्री बने। वर्ष- 2002 और 2007 के चुनाव में हार मिली, तो 2009 में भदोही लोकसभा क्षेत्र से जीत गये, इसके बाद वर्ष- 2014 में उन्हें चंदौली क्षेत्र से उतारा गया, तो यहाँ से भी बड़े अंतर से जीतने में सफल रहे, जिस पर मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें राज्यमंत्री के रूप में जगह मिली।
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