अपने राजनैतिक गुरु को ठिकाने लगाने वाला एक दबंग विधायक साईकिल छोड़ हाथी पर सवार होने की तैयारी कर चुका है। सर्वे में बसपा की सरकार बनने के रुझान आते ही इस दबंग विधायक ने बसपा के एक बड़े नेता को मोटी रकम देकर अपना टिकट पक्का कर लिया था। सपा छोड़ बसपा में ऐसे ही चला जाता, तो जनता के बीच जवाब नहीं दे मिलता, सो सपा में रह कर सपा के लिए ही खुलेआम गड्ढा खोदने लगा। पूरा प्रकरण हाईकमान के संज्ञान में पहुंच गया, तो हाईकमान ने आनन-फानन में डॉ. यासीन अली उस्मानी को लालबत्ती देकर दबंग विधायक के पंख काट दिए, जिससे दबंग विधायक अब छटपटा रहा है।
सलीम इकबाल शेरवानी से राजनीति का क, ख, ग सीखने वाले व्यक्ति को व्याकरण याद हो गई, तो उसने सर्व प्रथम अपने गुरु की ही राजनैतिक हत्या कर दी। लंबे समय तक सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी की बदायूं जिले के किसी गाँव से प्रधान तक चुने जाने की हैसियत नहीं बची है। हालांकि इस दुर्गति के पीछे शेरवानी की अपनी ही सोच ज्यादा बड़ा कारण रही है। उनका जनता से सीधा संपर्क नहीं था और न ही विकास कार्यों और जनसमस्याओं को लेकर रूचि लेते थे, जिससे जनता ने उन्हें नकार दिया, लेकिन चेले को यह अहंकार हो गया कि वह ही असली सुल्तान है।
चेला समाजवादी पार्टी से विधायक का चुनाव लड़ा, तो बदायूं के लोकप्रिय सांसद धर्मेन्द्र यादव के आह्वान पर और अखिलेश यादव के नाम की लहर में आसानी से चुनाव जीत गया, इससे दबंग विधायक को लगने लगा कि राजनीति में उसने डी.लिट् की उपाधि ले ली अब, अहंकार और भी कई गुना बढ़ गया। सपा की सरकार बनते ही बदायूं जिले में अपनी अघोषित सरकार चलाने का प्रयास करने लगा। गाय-बैल की तस्करी, सट्टा, कार-बाइक चोर रैकेट, जमीनों पर अवैध कब्जे करने जैसे आपराधिक कृत्यों के साथ प्रधानों, राशन डीलरों और नगर पंचायतों के अध्यक्षों को ब्लैकमेल कर अकूत संपत्ति अर्जित करने में जुट गया।
सूत्रों का कहना है कि इस दबंग विधायक के आपराधिक कृत्यों की जानकारी सांसद धर्मेन्द्र यादव के संज्ञान में पहुंची, तो उन्होंने जिले के अफसरों को स्पष्ट निर्देश दे दिए कि कोई विधायक अपराधियों को संरक्षण न दे पाये, साथ ही किसी का भी शोषण न हो पाये, इस पर दबंग विधायक बौखला गया। एक एसएसपी को हटवाने के लिए धार्मिक बवाल भी करा दिया था, इस सबके बावजूद अंदर ही अंदर कुछेक धंधे संचालित करता रहा, इस बीच सरकार के चार वर्ष पूरे हो गये और टिकट को लेकर राजनैतिक दलों में गहमा-गहमी शुरू हो गई, तो अपने ही धर्म के बसपा के एक बड़े नेता को जाकर मोटी रकम दे आया और आचार संहिता के लगने तक सपा में ही बने रहने की बात तय कर आया। इस दबंग विधायक से बसपा में अंदरूनी बात तय हो जाने के कारण ही बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा।
चुनाव को लेकर अब उल्टी गिनती शुरू हो गई है। दबंग विधायक अचानक सपा छोड़ कर बसपा में जायेगा, तो जनता के बीच जवाब नहीं दे पायेगा, जिससे खुलेआम सपा के लिए गड्ढा खोदने में जुट गया। उल्टी-सीधी हरकतें करने लगा। सार्वजनिक स्थलों पर बड़े नेताओं के बारे में अभद्र भाषा बोलने लगा, साथ ही स्वयं को सिद्धांतवादी व ईमानदार दर्शाने का प्रयास करने लगा, ताकि जनता के बीच जाकर सहानुभूति पा सके, लेकिन जनता के बीच सच का खुलासा हो गया एवं हाईकमान को भी भनक लग गई, तो हाईकमान ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. यासीम अली उस्मानी को आनन-फानन में राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया, इसकी दबंग विधायक ने कल्पना भी नहीं की थी, साथ ही जनता और हाईकमान के सामने छवि और भी खराब हो गई। दबंग विधायक जैसा सोच रहा था, वैसा नहीं हो पाया, जिससे अब छटपटा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अब दबंग विधायक का सच सामने आ गया है, जिससे कभी भी सपा छोड़ने की घोषणा कर सकता है। समय से पहले पर कट जाने के कारण एकांत में बैठा दबंग विधायक सोच रहा होगा कि वह राजनीति का स्वयं को मास्टर समझ कर स्वयं पर इतरा रहा था, जबकि राजनीति में प्रोफेसर भी होते हैं, जिनमें मास्टर से कहीं ज्यादा बुद्धि होती है।
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