आंवला लोकसभा क्षेत्र सपा-बसपा गठबंधन में बसपा के खाते में गया है, यहाँ से बसपा रूचि वीरा को प्रत्याशी बना सकती है। क्षेत्र के अधिकांश लोगों द्वारा रूचि वीरा नाम ही पहली बार सुना जा रहा है, जिससे क्षेत्र के अधिकांश लोग स्तब्ध नजर आ रहे हैं, वहीं लंबे समय से तैयारी कर रहे लोग मायूस भी नजर आ रहे हैं। रूचि वीरा को प्रत्याशी बनाये जाने पर क्षेत्र के राजनैतिक समीकरण भी गड़बड़ा सकते हैं।
बिजनौर विधान सभा क्षेत्र से रूचि वीरा समाजवादी पार्टी के टिकट पर विजयी हुई थीं, वे वरिष्ठ सपा नेता आजम खान की करीबी मानी जाती हैं। आजम खान के संरक्षण के चलते वे समाजवादी पार्टी के नेताओं पर हमेशा भारी रहती थीं, उनकी हनक-सनक और ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिला पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए बिजनौर के अधिकांश सपा नेता विरोध कर रहे थे, इस पर रूचि वीरा ने आक्रामक रुख अपनाते हुए अपने पति उदयन वीरा को जिला पंचायत का अध्यक्ष चुनवा लिया था।
खैर, समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के बाद पूर्व विधायक रूचि वीरा बसपा में जाने के प्रयास करने लगी थीं। दिसंबर 2018 में बसपा में शामिल होने की घोषणा कर दी गई, साथ ही रूचि वीरा को बिजनौर लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी भी नियुक्त कर दिया गया, जिसके बाद रूचि वीरा का बसपा में जोर-शोर से विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों ने सपा विधायक के रूप में सपा सरकार में दलितों का शोषण करने का रूचि वीरा पर आरोप लगाया गया।
ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में बसपा के सैक्टर प्रभारी रहे ब्रह्मपाल की पत्नी क्षेत्र पंचायत सदस्य सरोज देवी को धमकाने और घर में तोड़-फोड़ करने का आरोप रूचि वीरा पर लगा था, इस प्रकरण में मुकदमा भी दर्ज हुआ था, जिसमें पुलिस ने एफआर लगा दी थी। 3 फरवरी 2018 को ब्रह्मपाल की सड़क हादसे में मौत हो गई तो, उसका आरोप भी रूचि वीरा पर ही लगा था, इस प्रकरण में जाँच विचाराधीन बताई जा रही है, इसी प्रकरण को बसपाईयों द्वारा जमकर उछाला गया तो, रूचि वीरा को लोकसभा प्रभारी पद से बसपा ने हटा दिया।
रूचि वीरा सपा सरकार में दबंग विधायक के रूप में जानी जाती थीं, वे समाजवादी पार्टी के नेताओं से अलग कार्य करती थीं एवं उस समय बसपा कार्यकर्ताओं से कोई संबंध नहीं था, साथ ही जरूरत पड़ने पर वे बसपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का विरोध भी करती थीं। सपा-बसपा का गठबंधन नहीं होता तो, वे बसपा कार्यकर्ताओं को साध लेतीं लेकिन, गठबंधन के चलते उन्हें दोहरे विरोध का सामना करना पड़ रहा था।
बसपाई दल-बदलू और सपा सरकार में शोषण करने के कारण विरोध जता रहे थे, वहीं सपाई पार्टी छोड़ने और सपा में रहते हुए दबंगई दिखाने का रूचि वीरा से बदला लेने का प्रयास कर रहे थे, ऐसे में रूचि वीरा को समस्यायें होना स्वभाविक ही थीं, इसके अलावा कई मुस्लिम नेता बसपा से टिकट लेने का प्रयास कर रहे थे, इसलिए मुस्लिम भी खुल कर विरोध जता रहे थे, अब उच्च स्तरीय सूत्र बता रहे हैं कि शीर्ष नेतृत्व बिजनौर से हटा कर रूचि वीरा को आंवला लोकसभा क्षेत्र में भेज रहा है। आंवला लोकसभा क्षेत्र और जिला बरेली के रामनगर में मंगलवार को रूचि वीरा के नाम की घोषणा होने की संभावना जताई जा रही है, वे यहाँ क्या करिश्मा कर पायेंगी, इसका खुलासा तो भविष्य में ही हो सकेगा। हाल-फिलहाल क्षेत्र के लोग रूचि वीरा का पहली बार नाम सुन कर स्तब्ध नजर आ रहे हैं।
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