बदायूं जिले की दातागंज विधान सभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक रह चुके सिनोद कुमार शाक्य “दीपू भैया” की न सिर्फ मौर्य समाज पर बल्कि, समाज के हर वर्ग पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। दातागंज क्षेत्र के अलावा भी उनका आस-पास के क्षेत्रों में दखल और असर है। आंवला लोकसभा क्षेत्र की बसपा प्रत्याशी रूचि वीरा दीपू भैया को साधने में रूचि नहीं ले रही हैं, इसीलिए दीपू भैया के समर्थक रूचि वीरा के साथ जाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
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सिनोद कुमार शाक्य “दीपू भैया” की पत्नी आंवला लोकसभा क्षेत्र से पिछला चुनाव लड़ी थीं, उन्होंने मजबूती से उपस्थिति दर्ज कराई लेकिन, मोदी लहर के चलते हार गईं, इसके बाद बहुजन समाज पार्टी में कई घटना क्रम हुए। स्वामी प्रसाद मौर्य के सर्वाधिक चहेते विधायकों में से एक दीपू भैया भी थे। स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा छोड़ी पर, दीपू भैया ने अपने राजनैतिक गुरु के साथ जाना उचित नहीं समझा। दीपू भैया के नसीमुद्दीन सिद्दीकी से भी गहरे संबंध थे पर, उनके साथ भी बसपा छोड़ कर नहीं गये, वे पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा में चले गये तो, आज निःसंदेह विधायक होते।
बसपा से विद्रोह करने वाले नेताओं के साथ न जाकर दीपू ने बसपा में अपना कद बढ़ा लिया, ऐसे में माना जा रहा था कि इस बार आंवला लोकसभा क्षेत्र से बसपा दीपू को ही टिकट देगी लेकिन, सपा छोड़ कर आईं बिजनौर की पूर्व विधायक रूचि वीरा को बसपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया, जिससे दीपू और उनके लाखों समर्थक आहत हो उठे। रूचि वीरा क्षेत्र में आकर सक्रिय हुईं तो, उन्होंने भी दीपू को साधने में बहुत ज्यादा रूचि नहीं ली, इसलिए यह चर्चा आम हो चली है कि दीपू की मदद के बिना रूचि वीरा की नैया किनारे तक पहुंचने में ही दम घुट जायेगा। रूचि वीरा ने दीपू को शीघ्र ही साथ नहीं लिया तो, उनके लाखों समर्थक कांग्रेस प्रत्याशी के साथ जा सकते हैं।
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