चुनावी समर में जाने के लिए अखिलेश, रथ और सेना तैयार

चुनावी समर में जाने के लिए अखिलेश, रथ और सेना तैयार
समाजवादी विकास रथ का बायाँ भाग।
समाजवादी विकास रथ का बायाँ भाग।

चुनावी और पारिवारिक युद्ध में विजय पाने के उददेश्य से अखिलेश यादव अर्जुन से कई गुना ज्यादा साहस के साथ तैयार हैं, उनका रथ भी तैयार है। अखिलेश यादव की 3 नवंबर से शुरू होने वाली बहुचर्चित समाजवादी विकास रथ यात्रा की उलटी गिनती शुरू हो गई है, जो विकास से विजय की ओर जायेगी। आम आदमी से लेकर खास आदमी तक यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। टीम अखिलेश यात्रा को भव्य बनाने में दिल से जुटी हुई है। संभावना जताई जा रही है कि अखिलेश के रथ के पीछे तीस से पचास कि.मी. लंबा वाहनों का काफिला हो सकता है।

अखिलेश की यात्रा को लेकर जनता में जितनी उत्सुकता है, उतनी उत्सुकता उनके रथ को लेकर भी है। समाजवादी रंग में चमकते हाईटेक रथ में एलईडी स्क्रीन लगी है, जिस पर अखिलेश यादव की तस्वीर दूर से दिखाई देगी, साथ ही एलईडी पर प्रदेश सरकार की योजनाओं का भी उल्लेख होता रहेगा। रथ के अंदर बैठने पर भी अखिलेश यादव को जनता आसानी से देख सकेगी। रथ के अंदर एक छोटा सा कार्यालय भी बनाया गया है, जिसमें हाई-फाई इंटरनेट कनेक्टिविटी रहेगी, इसी तरह आराम करने के लिए शानदार सोफे और टॉयलेट की भी व्यवस्था की गई है, साथ ही रथ में हाइड्रोलिक लिफ्ट की व्यवस्था है, जो अखिलेश को नायक के अंदाज में आसानी से ऊपर ले जायेगी। सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

समाजवादी विकास रथ का दायाँ भाग।
समाजवादी विकास रथ का दायाँ भाग।

विशेष ध्यान देने की बात यह है कि रथ पर दिख रही लुभावनी तस्वीर में अखिलेश जिस साईकिल पर सवार हैं, वह समाजवादी पार्टी वाली साईकिल नहीं है, वह नये दौर की स्पोर्ट्स साईकिल है, जो बड़े परिवर्तन का प्रतीक कही जा सकती है। अखिलेश के रथ पर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को विशेष सम्मान दिया गया है। रथ की एक दिशा में अखिलेश ही नजर आते हैं, वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव की बड़ी सी तस्वीर लगी है, उनकी तस्वीर रथ के पीछे भी लगी है, साथ ही समाजवादी पार्टी के आदर्श कहे जाने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण और जनेश्वर मिश्र की तस्वीरें भी नजर आ रही हैं, जो स्वयं ही बता रही हैं कि अखिलेश जड़ों से दूर नहीं गये हैं।

खैर, रथ तैयार है, अर्जुन तैयार है, सेना तैयार है, लेकिन इस महायुद्ध में सारथी जनता को रहना है, जो अखिलेश की सारथी बनेगी, या नहीं?, यह आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा। युद्ध रूपी चुनाव में भी हार-जीत निश्चित रूप से होनी ही है, लेकिन अखिलेश की भूमिका को जिस तरह सराह जा रहा है, वह जीत से कम नहीं कही जा है।

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