भ्रष्टाचार रुपी राक्षस का साम्राज्य यूं तो हर जगह नज़र आ रहा है, लेकिन बदायूं जिला भ्रष्टाचारियों की राजधानी बनता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से भ्रष्टाचार के नये-नये प्रयोग बदायूं में होने शुरू हो गये हैं, जो सफल होने के बाद धीरे-धीरे समूचे उत्तर प्रदेश में लागू कर दिए जाते हैं। पीडब्ल्यूडी, आरईएस, जल निगम, नलकूप विभाग, मंडी समिति, जिला पंचायत, डीआरडीए और पंचायत उद्योग प्रमुख कार्यदायी संस्थायें हैं, इसलिए भ्रष्टाचार का राक्षस सब से अधिक यहीं फलफूल रहा है। कुछ विभाग ऐसे हैं, जहां भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद औपचारिकता के लिए ही सही, पर कुछ न कुछ कार्रवाई हो भी जाती है, पर विधायक निधि और सांसद निधि के मामलों में कार्रवाई की कल्पना भी नहीं की जा सकती, क्योंकि विधायक और सांसद निधि के प्रस्ताव संबंध और कमीशन के आधार पर दिए जाते हैं, इसीलिए कार्रवाई के बीच में भी विधायक और सांसद आ जाते हैं, जिससे भ्रष्टाचार के खुलासे से संबंधित फाइल गायब हो जाती है या फिर हमेशा के लिए दबा दी जाती है।
ताज़ा मामला वजीरगंज ब्लॉक के कस्बा बगरैन का है। यहाँ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे स्वर्गीय चौधरी बदन सिंह के नाम पर चौधरी बदन सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। इस विद्यालय को सांसद धर्मेन्द्र यादव ने पिछले सत्र में पांच लाख रूपये दिए थे, जिससे दूसरी मंजिल पर कमरा बनाया जा रहा था, लेकिन नीचे पहली मंजिल का कमरा गुणवत्ता विहीन था, सो वजन न रोक पाने के कारण बरामदे के पोल ढह गये और ऊपर तक की निर्माणाधीन बिल्डिंग भरभरा कर गिर गई। गनीमत तो यह रही कि उस वक्त बिल्डिंग के आसपास बच्चे नहीं थे, वरना कितनी भी जानें जा सकती थीं।
उधर बिल्डिंग गिरते ही प्रशासनिक खेमे में हडकंप मच गया, तो आनन-फानन में बीडीओ वजीरगंज सुनील कुमार, एई डीआरडीए एसयू खां और जेई एमआई कामेंद्र सहित तीन लोगों की कमेटी बना दी, जो जांच आख्या देगी, जिसके अनुसार अगली कार्रवाई होगी, पर आश्चर्य की बात यह है कि एई डीआरडीए एसयू खां और जेई एमआई कामेंद्र की संतोषजनक रिपोर्ट के बाद ही इस विद्यालय को किश्तें दी गई हैं, ऐसे में यह लोग अब खुद को ही दोषी कैसे मान सकते हैं। साफ है कि कार्रवाई की खानापूर्ति कर पूरे मामले को दबाने की नीयत से ही कागजी औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं। अगर, कार्रवाई करने की नीयत होती, तो प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए आज ही एई डीआरडीए एसयू खां और जेई एमआई कामेंद्र को निलंबित कर दिया गया होता।
खैर, उक्त घटना तो भ्रष्टाचार का एक ऐसा उदाहरण है, जिसे कोई नकार नहीं सकता, क्योंकि गुणवत्ता विहीन बिल्डिंग गिर कर खुद का प्रमाण दे चुकी है, लेकिन सड़कें गिरती नहीं हैं, सो उधर ध्यान कम ही जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है बदायूं जिले में इसी तरह का विकास हुआ है, जिसका लाभ ठेकेदार और अफसरों को ज्यादा हुआ है।