उत्तर प्रदेश की पहचान अपराध प्रदेश के रूप में होने लगी है। प्रदेश की चारों दिशाओं में प्रतिदिन जघन्य वारदातें घटित हो रही हैं। सरकार के दावों और वादों की हवा पूरी तरह निकल गई है। महिलायें, व्यापारी और नौकरी पेशा के साथ आम आदमी दहशत में ही नज़र आ रहा है, लेकिन सरकार पुलिस को मुक्त करने को अब भी तैयार नज़र नहीं आ रही है, जिससे अभी हालात और बिगड़ सकते हैं।
रूहेलखंड की बात करें, तो बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत और बदायूं के साथ लखीमपुर खीरी में हालात और भी बदतर हैं। बलात्कार की घटनाओं में तो रूहेलखंड रिकॉर्ड बनाने
की दिशा में तेजी से बड़ रहा है। हत्या, लूट और डकैती की जघन्य वारदातों के चलते आम आदमी का विश्वास पुलिस से उठता ही जा रहा है। जनपद बदायूं तो अपराधियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र साबित हो रहा है। यहाँ प्रतिदिन हत्या होने का क्रम जारी है। हत्या के कारणों की खोज करने की बजाए पुलिस शव का पोस्टमार्टम कराने को ही अपना दायित्व समझती है और उससे आगे कुछ नहीं करती, जिससे हत्याओं का ग्राफ नीचे नहीं आ पा रहा है। कल गुरूवार को कस्बा वजीरगंज में बटिया के अन्दर शव रख कर कोई जला गया। मृतक कौन था, कहाँ का था, पुलिस अभी तक पता नहीं लगा सकी है, वहीं आज बदायूं शहर के लालपुल क्षेत्र के नाले में एक और शव बरामद हुआ है। मोहल्ले का ही राजेन्द्र नाम का युवक दो दिनों से गायब था, शव उसी युवक का बताया जा रहा है। शव मिलने के बाद सैकड़ों लोग हाइवे पर जमा हो गये और जाम लगा दिया। हत्या करने की आशंका में पुलिस ने रमेश राठोर नाम के युवक को हिरासत में ले लिया, तभी आक्रोशित भीड़ ने उसके घर पर धावा बोल दिया। भीड़ आगे दरवाजा खोलने का प्रयास कर रही थी, जिससे आरोपी के परिजन और छोटे-छोटे बच्चे पिछले दरवाजे से किसी तरह निकल कर भाग गये। इसके बाद भीड़ ने फिर दिल्ली हाइवे जाम कर दिया। मौके पर एसपी सिटी और एडीएम फ़ोर्स के साथ मौजूद थे, लेकिन भीड़ एसएसपी और डीएम को बुलाने की मांग कर रही थी, पर रॉयल स्टाइल में रहने वाले डीएम और एसएसपी नहीं आये। बाद में मौके पर मौजूद अधिकारियों ने ही भीड़ को किसी तरह समझा कर शांत किया और जाम खुलवाया। इस घटना से पहले बदायूं शहर में ही चक्कर की सड़क पर रहने वाले भुल्लन की मौत हो गई। बताया जाता है कि भुल्लन की बेटी से उसके भांजे शकील के संबंध थे, जिसका खुलासा होने पर भुल्लन ने विरोध किया, तो भांजे ने उसे लाठी से बेरहमी से पीट दिया। भुल्लन की जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई।
उक्त घटनाएँ तो उदाहरण मात्र हैं, ऐसी घटनाएँ यहाँ प्रतिदिन होती है, पर आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस हत्या की वारदातों को लेकर चिंतित नज़र नहीं आ रही। इसके अलावा बसपा शासन की तुलना में लूट, राहजनी, चोरी और दुष्कर्म के साथ जमीन पर अवैध कब्जों की वारदातों में बढ़ोतरी लगातार हो रही है, जो चिंता का कारण है। आम आदमी दहशत में है, पर पुलिस और शासन पूरी तरह बेफिक्र नज़र आ रहे हैं।
अपराध घटने और बढ़ने का कारण ट्रांसफर-पोस्टिंग का तरीका
प्रदेश वही है, लोग वही हैं, पुलिस वही है, पर बसपा सरकार की तुलना में सपा सरकार में अपराध क्यूं बढ़ जाते हैं? यह सवाल अधिकाँश लोगों के दिमाग में उठता है। जवाब के लिए दोनों दलों के शासन करने के तरीके को समझना होगा। मायावती के स्पष्ट निर्देश थे कि पुलिस का कोई अधिकारी विधायक के कहने से तैनात नहीं किया जाए। एक जिले के अधिकाँश विधायक किसी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध हैं, तो हटा तो दिया जाये, पर सभी मिल कर किसी ख़ास व्यक्ति को तैनात करने कहें, तो भी किसी ख़ास को तैनात न किया जाये, जबकि सपा शासन इस मामले में बेहद उदार है। एसओ, सीओ और एसएसपी तक की पोस्टिंग जिले के प्रभावशाली नेता के निर्देश पर की जाती है, जिससे पुलिस अधिकारी स्थानीय नेता के दबाव में कार्य करते हैं। विधान सभा क्षेत्रों में एसओ विधायक के अनुसार तैनात किये जाते हैं, तभी विधायक के इशारे पर नाचते दिखते हैं, ऐसे में विधायक के गुर्गे ही अपराध करते हैं, तो पुलिस एफआईआर तक दर्ज नहीं करती, यही वजह है कि अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और यही तरीका रहा तो लगातार बढ़ते भी रहेंगे। मायावती एक बड़ी घटना पर ही सबको दण्डित करती थी, जबकि सपा शासन में हर अधिकारी किसी न किसी सपा नेता का ख़ास है। सबको पता है कि उसकी कुर्सी सुरक्षित है और अपराध घटने या बढ़ने से भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।