देश के नेताओं का स्तर गिरने के तमाम उदाहरण सामने हैं, फिर भी नेताओं से संयम और गुणवत्ता बनाये रखने की अपेक्षा अधिकाँश लोगों को आज भी है, लेकिन समाजवादी पार्टी के शाहजहांपुर लोकसभा (सुरक्षित) क्षेत्र से सांसद मिथिलेश कुमार की ताज़ा हरकत ने संसदीय गरिमा को एक बार फिर तार-तार कर दिया है। उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में सिफारिशी पत्र को लिखित में वापस ले लिया है। पूर्व में लगाये आरोपों को निराधार बता रहे सांसद मिथिलेश कुमार की हरकत अनैतिक तो है ही, उनकी निष्ठा पर भी तमाम तरह के सवाल उठाने को मजबूर कर रही है, क्योंकि इस तरह के प्रकरण को लेकर वेबसाइट कोबरा पोस्ट पहले ही खुलासा कर चुकी है, जिससे सांसद मिथिलेश कुमार के साथ सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी के लिए भी मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। चुनावी माहौल में विपक्ष इस मुददे को उछाल कर लाभ ले सकता है।
कोबरा पोस्ट के ‘ऑपरेशन फॉल्कन क्लॉ’ से खुलासा हुआ था कि पैसे लेकर सांसद सिफारिशी पत्र लिख देते हैं। कोबरा पोस्ट के ऑपरेशन में एक फर्जी ऑस्ट्रेलियाई ऑयल कंपनी के पक्ष में पेट्रोलियम मंत्रालय के लिए 11 सांसद पैसा लेकर पत्र लिखने को तैयार हो गये थे। एक साल मेहनत कर कोबरा पोस्ट ने 11 सांसदों को अपने खुफिया कैमरे में कैद किया था, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, बसपा, जेडीयू और एआईएडीएमके के सांसदों का असली चेहरा जनता के सामने आया था। इन भ्रष्ट सांसदों ने पत्र लिखने के बदले 50 हजार रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक की मांग की थी और 11 सांसदों में से 6 सांसदों ने सिफारिशी पत्र लिख भी दिए थे।
शाहजहाँपुर लोकसभा (सुरक्षित) क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के सांसद मिथिलेश कुमार ने एक कदम आगे बढ़ कर काम किया है। उन्होंने 15 दिसंबर 2013 को भ्रष्टाचार के मामले में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कार्रवाई कराने की सिफारिश की थी। इस पत्र में शाहजहाँपुर स्थित आयुध वस्त्र निर्माणी (ओसीएफ) के महाप्रबंधक अमिताभ रॉय चौधरी और उनकी पत्नी सरबानी रॉय चौधरी पर भ्रष्टाचार से संबंधित कई गंभीर आरोप थे। सांसद मिथिलेश कुमार रक्षा मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य भी हैं, इसीलिए उनके सिफारिशी पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय ने गंभीरता से लिया और कार्रवाई की दिशा में तेजी से जांच होने लगी, लेकिन सांसद मिथिलेश कुमार अब पलट गये हैं। उन्होंने 23 जनवरी 2014 को प्रधानमंत्री को पुनः पत्र लिखा है, जिसमें वह पूर्व में लगाये आरोपों को निराधार बता रहे हैं। पत्र में लिखा है कि उन्होंने अपने सूत्रों से पता किया है कि आरोप निराधार हैं और सरबानी रॉय चौधरी घरेलू महिला हैं।
अब कई सवाल उठ खड़े हुए हैं कि सांसद मिथिलेश कुमार के पास जांच करने वाले सूत्र हैं, तो उन सूत्रों से उन्होंने सिफारिशी पत्र लिखने से पहले ही जांच क्यूं नहीं कराई?, सांसद जैसे दायित्व का निर्वहन करने वाले मिथिलेश कुमार किसी के भी बारे में पत्र ऐसे ही क्यूं लिख देते हैं?, सांसद मिथिलेश कुमार के सूत्र प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा नामित जांच दल से ज्यादा विश्वस्त हैं?, उनके सूत्र सरकारी अफसरों से ज्यादा अच्छी जांच करते हैं?, उनके सूत्रों और उनके सूत्रों की जाँच को सरकार और न्यायपालिका मान्यता देते हैं?, अमिताभ रॉय चौधरी और उनकी पत्नी सरबानी रॉय चौधरी पर लगे आरोप निराधार हैं, तो प्रधानमंत्री कार्यालय स्वतः उन्हें क्लीन चिट देकर जांच बंद कर देगा, वे स्वयं प्रधानमंत्री को पत्र क्यूं लिख रहे हैं?, ऐसे ही अन्य तमाम सवाल हैं, जिनको लेकर सांसद मिथिलेश कुमार को जनता के सामने आकर जवाब देने ही होंगे, साथ ही उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी जवाब देना चाहिए कि उनकी पार्टी के सांसद द्वारा की गई यह हरकत नैतिक है या अनैनिक? और अगर, अनैतिक है, तो सांसद मिथिलेश कुमार के विरुद्ध कार्रवाई कर जनता में वह यह विश्वास पैदा करें कि भ्रष्टाचार के मामले में वह अपनी पार्टी के सांसद को भी नज़र अंदाज़ नहीं करेंगे।