समाजवादी पार्टी ने आज एक ओर अपने ही रिकॉर्ड को दुरुस्त किया, तो दूसरी ओर नरेंद्र मोदी की रैलियों को हर क्षेत्र में निःसंदेह पछाड़ दिया। हाल-फिलहाल में समाजवादी पार्टी की बरेली में 21 नवंबर को आयोजित की गई “देश बचाओ, देश बनाओ” रैली संख्या की दृष्टि से सब से बड़ी रैली थी। बरेली की इस रैली को लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गदगद नज़र आये थे और उस रैली को नरेंद्र मोदी की कानपुर की रैली से बड़ा बता रहे थे, लेकिन आज बदायूं जिले के गुनौरा वाजिदपुर स्थित मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास के अवसर पर आयोजित की गई “विकास रैली” में उमड़े जनसैलाब को देख कर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वाकई, स्तब्ध नज़र आये। पांच सौ एकड़ के विशाल-भू-भाग में फैली भीड़ की ख़ुशी उनके चेहरे पर स्पष्ट झलक रही थी। अखिलेश यादव ने भाषण के शुरुआत में इस ख़ुशी का इजहार भी कर दिया। सांसद धर्मेन्द्र यादव को बधाई देते हुए उन्होंने स्वयं माना कि यह रैली बरेली की रैली से बड़ी है।
रैलियों की बात चलती है, तो सबसे पहले नरेंद्र मोदी की रैलियों का ही दृश्य सामने आता है। देश भर में उनकी रैलियों की चर्चा है, तभी समाजवादी पार्टी नरेंद्र मोदी को जवाब रैलियों के माध्यम से ही देना चाहती है और यह अहसास कराना चाहती है कि यह सपा का उत्तर प्रदेश है और वह भीड़ के साथ ग्लैमर में भी उनसे पीछे नहीं है, साथ ही जिस ग्लैमर के सहारे युवा नरेंद्र मोदी की ओर बहे नज़र आ रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए भी सपा रैलियों की प्रतिस्पर्धा में खुल कर सामने आया गई है, इसीलिए बरेली के बाद बदायूं में भी जान कर वो दिन निश्चित किया गया, जिस दिन नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश में रैली होना निश्चित थी। बरेली में हुई सपा की रैली के दिन नरेंद्र मोदी की आगरा में रैली थी और आज नरेंद्र मोदी की रैली बनारस में थी, जिससे साफ़ है कि सपा नरेंद्र मोदी की ग्लैमर से भरपूर रैलियों से डर नहीं रही, बल्कि बराबरी कर सीधे लड़ने को तैयार है।
उत्तर प्रदेश में सपा की वर्तमान में पूर्ण बहुमत की सरकार है, इससे पहले भी सरकार रही है, साथ ही समाजवादी पार्टी की भूमिका अब देश की राजनीति में भी दोनों राष्ट्रीय दलों काँग्रेस और भाजपा के समकक्ष ही है, इसके बावजूद समाजवादी पार्टी को दकियानूसी विचारधारा का दल प्रचारित कहा जाता रहा है। सपा के बारे में कहा जाता है कि यह पार्टी आज भी अस्सी-नब्बे के दशक की सोच वाली पार्टी है, लेकिन सपा के बारे में लोगों को अब अपनी यह सोच बदलनी होगी। मुलायम सिंह यादव जैसा जमीनी नेता और प्रो. रामगोपाल यादव जैसा कूटनीतिक व्यक्ति कम ही दलों के पास है, ऐसे में टेक्नोलॉजी को वरीयता देने वाले अखिलेश यादव और धर्मेन्द्र यादव जैसे युवा अब इस पार्टी में पूरी तरह सक्रीय ही नहीं हैं, बल्कि मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव जैसे लोकप्रिय नेताओं के अनुभव के सहारे पार्टी को नई दिशा युवा दे रहे हैं। जिस सपा को कंप्यूटर का विरोधी कहा जाता था, वो सपा आज देश भर की पार्टियों के लिए लैपटॉप बांटने के कारण मॉडल बन गई है। जिस सपा की रैलियों और सभाओं में ढोला और रागिनी सुनाई देते थे, उस सपा की रैलियों में अब लेटेस्ट टेक्नलॉजी की मदद से बने हाई-फाई सिस्टम से सुसज्जित गाने सुनाई देते हैं। थ्री डी साउंड सिस्टम और विशाल एलईडी कभी सपा की रैलियों में भी दिख सकती हैं, ऐसा सोचने की कल्पना करना भी मुश्किल होता था, लेकिन आज यह सब उस पुरानी विचारधारा की कही जाने वाली सपा की रैली में ही नज़र आया और उस सबको देख कर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव भी खुश नज़र आये, तो स्पष्ट हो गया कि जानकारी के अभाव में ही उनकी इस सब से दूरी थी और उस कमी को उनकी ही अगली पीढ़ी ने पूरा कर सपा को पुरानी विचारधारा वाली पार्टी के ठप्पे से मुक्ति दिला दी है।
कल क्या होगा, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन आज की बात करें, तो राजनीति की चर्चा, विकास की बातें, मौके पर मौजूद जनसैलाब और हाई-फाई टेक्नोलॉजी में भी समाजवादी पार्टी ने भाजपा के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता और प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी और उनकी रैलियों को पीछे छोड़ दिया। मौके पर उपस्थित जनसैलाब सपा सुप्रीमो के एक-एक शब्द को सुन ही नहीं रहा था, बल्कि उनके हर सवाल का जवाब भी दे रहा था। नरेंद्र मोदी को खुल कर मानवता का हत्यारा कहने का साहस मुलायम सिंह यादव ही रखते हैं। उन्होंने उपस्थित लोगों से खुल कर पूछा भी कि मोदी को वापस गुजरात भेजोगे, तो जनता ने खुल कर कहा कि वह मुलायम सिंह यादव के साथ है।
मुलायम सिंह यादव ने अल्पसंख्यकों की बात की, गरीब की बात की, शोषित की बात की, बीमारों की बात की, विकास की बात की, भाईचारे से रहने की बात की और एक बुजुर्ग की तरह सफाई से रहने और वातावरण को स्वच्छ रखने की बात की, जो सबको पसंद आई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घोषणा पत्र में किये वादों को पूरा करने का दावा करते
हुए कहा कि वह आने वाले समय में उत्तर प्रदेश को हर क्षेत्र में विकास पथ पर दौड़ा देंगे, लेकिन प्रदेश के खजाने की हालत सही नहीं मिली है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली बसपा सरकार धन को लूट ले गई और पत्थरों व मूर्तियों पर धन बर्बाद कर गई, तो अधिकाँश उनकी इस दलील पर विश्वास करते नज़र आये। उन्होंने यह भी कहा कि विपरीत परिस्थिति के बावजूद गन्ना किसानों को 280 रूपये प्रति कुंतल का मूल्य दे रहे हैं और यह आरोप लगाया कि चीनी उद्योग की बुरी हालत कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण है। घोषणा पत्र के वायदे पूरे होने के कारण जनता उनके अगले दावों पर विश्वास करती नज़र आई, वहीँ सांसद धर्मेन्द्र यादव स्थानीय लोगों के लिए विकास पुरुष बन ही गये हैं, साथ ही बरेली के बाद बदायूं की इस रैली की सफलता और रैलियों में अपनाई गई हाई-फाई टेक्नोलॉजी का श्रेय उन्हीं को जाता है। अब समाजवादी पार्टी दकियानूसी विचारधारा वाली पार्टी नहीं, बल्कि हाई-फाई समाजवादी पार्टी है, जो भाजपा और कॉग्रेस से लड़ने को एक दम तैयार है। सपा के इस नये कलेवर को पसंद करते हुए जनता बदले में कितनी सीटें देगी, इसके लिए वर्ष 2014 के महासंग्राम और उसके परिणाम आने तक का इंतज़ार करना ही पड़ेगा।
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सांसद धर्मेन्द्र यादव का भाषण सुनने के लिए क्लिक करें नाम