जनता को सिर्फ वो नज़र आता है, जो उसे दिखाया जाता है। विकास के मामले में भी जनता के सामने सच उजागर नहीं हो पाता। जनता को लगातार भ्रमित किया जाता है। इस चुनाव की बात करें, तो विकास के नाम पर जनता को एक बार फिर ठगने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि जनता मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित है।
बदायूं जिले में कराए गये विकास कार्यों को लेकर सत्ता पक्ष के नेता गदगद हैं और जनता के सामने बड़ी-बड़ी बातें करते नज़र आ रहे हैं, जबकि जो विकास हुआ है, उस विकास से जनता का भला कम अफसरों, ठेकेदारों का नेताओं का विकास ज्यादा हुआ है। सड़कों की बात करें, तो पीडब्ल्यूडी विभाग में करोड़ों रुपया आया और सडकें भी बनीं, पर गुणवत्ता के मुददे पर सभी सड़कें फेल हैं, इतना ही नहीं सड़कों के ठेके सिर्फ नेताओं के रिश्तेदारों और चमचों को दिए गये हैं, मतलब सरकारी धन खाने के लिए सड़कें लाई गईं। सत्ताधारी नेताओं की नीयत साफ होती, तो जनता की मूलभूत सुविधाओं की ओर भी उनका ध्यान जाता।
स्वास्थ्य विभाग की बात करें, तो हालात बेहद दयनीय हैं। लगभग 37 लाख की आबादी वाले बदायूं जिले में मात्र 11 पीएचसी और 4 सीएचसी हैं, इससे भी बड़े आश्चर्य की बात यह है कि जिला अस्पताल में मात्र 19 डॉक्टर हैं, जो ड्यूटी तक नहीं करते। उपचार के अभाव में सैकड़ों लोग काल के शिकार हो जाते हैं। हर साल 300 से ज्यादा सड़क हादसों में घायल हुए लोग उपचार के अभाव में मर जाते हैं। पिछले वर्ष की बात करें, तो वर्ष 2014 में 600 से ज्यादा सड़क हादसों में घायल हुए लोग मर गये, लेकिन किसी को कोई चिंता नहीं है, क्योंकि हादसों के लिए किसी की जिम्मेदार निश्चित ही नहीं है, जबकि हादसे पुलिस की लापरवाही से ही होते हैं, लेकिन हादसों की समीक्षा नहीं होती, इसलिए हादसों को रोकने की दिशा में पुलिस कोई प्रयास नहीं करती।
खैर, बात विकास की हो रही थी। विकास दिखाया जा रहा है। वास्तव में नहीं हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों से चोर चौखट तक उखाड़ कर ले गये हैं। डॉक्टर की तैनाती बहुत बड़ी बात है, चपरासी तक नहीं है और जहाँ हैं, वहां ड्यूटी नहीं करते। असलियत में डॉक्टर आदि को तैनात कराने में नेताओं को कमीशन नहीं मिलता। ठेकेदारों के रूप में रिश्तेदारों और चमचों को भी कुछ नहीं मिलता, इसलिए इस ओर किसी का ध्यान तक नहीं गया। जहाँ से पैसा मिलता है, विकास वहीं हुआ है और उसका जनता पर अहसान थोपते हुए वोट माँगा जा रहा है।