विकास और भ्रष्टाचार एक-दूसरे के पर्याय बन गये हैं। सिक्के के एक तरफ विकास है, जिसे जनता को घुमा-घुमा कर दिखाया जा रहा है और सिक्के के दूसरी ओर घोर भ्रष्टाचार है, जिसकी चर्चा तक नहीं होती। बदायूं जिले की बात करें, तो यहाँ सत्ता पक्ष के लोग विकास के नाम पर कसीदे पढ़ते-गढ़ते थकते नहीं, लेकिन विकास की आड़ में करोड़ों का खेल भी खेला जा रहा है, जिसे जनता से छुपाया जा रहा है।
बदायूं जिले में सड़कों के निर्माण और मरम्मत के लिए अकेले लोक निर्माण विभाग में करोड़ों रुपया आया, जिसकी चर्चा हर सत्ताधारी नेता करता नज़र आता है, लेकिन सड़कों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर वास्तव में आधी रकम भी मौके पर नहीं लगी है। विकास के नाम पर सत्ता पक्ष के खास ठेकेदारों ने करोड़ों रुपया हजम कर लिया। गुणवत्ता का आलम यह है कि आगे सड़कें बन रही हैं और पीछे से उखड़ रही हैं।
नगर पालिका परिषद बदायूं के भाजपाई चेयरमैन की पिछले दिनों पॉवर सीज करा दी गई थी और सीडीओ को प्रशासक बना दिया गया था। प्रशासक का काम प्राथमिक आवश्यकताओं को दुरुस्त रखने का होता है, लेकिन सीडीओ ने प्रशासक के रूप में 14 करोड़ के ठेके जारी कर दिए, जबकि नगर पालिका के पास ग्रांट तक नहीं है। विकास के नाम पर धन की बर्बादी का यह खेल हर विभाग में चल रहा है, लेकिन न कोई अंकुश लगाने वाला है और न ही कोई आवाज उठाने वाला है, साथ ही विकास का आइना दिखा कर जनता को मूर्ख बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है।
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