- लेखपाल के साथ तहसीलदार को भी दीं गालियाँ
- भयभीत लेखपाल ने की तहसीलदार से शिकायत
- अमर उजाला प्रबन्धन को भी भेजी शिकायत
अमर उजाला की प्रतिष्ठा की आड़ में बवाल करने के लिए कुख्यात हो चुके सुधाकर शर्मा ने एक और कारनामा कर दिखाया है। इस बार बेख़ौफ़ सुधाकर ने एक लेखपाल को फोन पर जमकर हड़काया और जब लेखपाल ने तहसीलदार के सामने प्रकरण रखने को कहा, तो तहसीलदार को भी गालियाँ दीं। आश्चर्य की बात तो यह है कि लेखपाल ने यह बता दिया कि वह उसकी गालियाँ रिकॉर्ड कर रहा है, तो भी बेख़ौफ़ सुधाकर के लहजे में कोई परिवर्तन नहीं आया।
उल्लेखनीय है कि सुधाकर शर्मा जनपद बदायूं की तहसील बिसौली में संवाददाता है, साथ ही गाँव के ही इंटर कॉलेज में टीचर है, लेकिन खुद को अमर उजाला का ब्यूरो चीफ ही बताता है। अमर उजाला की प्रतिष्ठा के चलते शासन-प्रशासन से जुड़े लोग सम्मान देते हैं, जिसका खुल कर लंबे समय से दुरूपयोग कर रहा है। हनक-सनक और दबंगई में ही पिछली बार माँ को प्रधान भी चुनवा लिया था, जिसमें बेईमानी के आरोप लगे थे, इसके अलावा दो वर्ष पहले एआरटीओ (यातायात) फरीदउद्दीन के साथ बिसौली में सड़क पर अभद्रता की थी, जिसकी एफआईआर हुई, लेकिन पुलिस ने विवेचना में सुधाकर का नाम निकाल दिया। गाँव के ही एक व्यक्ति हरपाल ने जानलेवा हमले की एफआईआर लिखाई थी, पर पुलिस ने इस केस को भी रफा-दफा कर दिया। गाँव के ही यादराम नाम के व्यक्ति ने बंधक बना कर पीटने का आरोप लगाया था, यह मुकदमा मुंसिफ मजिस्ट्रेट बिसौली के न्यायालय में विचाराधीन बताया जाता है। इसके अलावा तमाम ऐसे मामले भी हैं, जो रिकॉर्ड में नहीं आ पाये हैं। इस सब के बावजूद सुधारकर की मनमानी पर कोई रोक नहीं है। इस बार अपने किसी निहाल सिंह नाम के ख़ास व्यक्ति के काम को लेकर फोन पर एक लेखपाल राजेन्द्र प्रसाद को जमकर हड़काने का मामला प्रकाश में आया है। दबंगई के साथ फोन पर उसे और तहसीलदार को गालियाँ दीं और जब उसने कहा कि वह उसकी गालियाँ रिकॉर्ड कर रहा है, तो भी उसके लहजे में कोई परिवर्तन नहीं आया।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सुधाकर बिसौली तहसील का संवाददाता है और जिस लेखपाल को उसने गालियाँ दी हैं, वह बिल्सी तहसील में तैनात है, जहाँ तहसील रिपोर्टर अलग है। उधर भयभीत और परेशान लेखपाल ने पूरा प्रकरण तहसीलदार बिल्सी को बता दिया है। तहसीलदार बीके शर्मा ने बताया कि वह डीएम से रिपोर्ट लिखाने की संस्तुति लेकर सुधाकर के विरुद्ध मुकदमा लिखायेंगे, वहीं लेखपाल ने अमर उजाला के शीर्ष प्रबन्धन से सुधारकर की लिखित में शिकायत भी की है।
ऐसे ही तमाम आरोपों को लेकर अमर उजाला ने मार्च 2013 में सुधाकर को संस्थान से निकाल दिया था और उसकी जगह तेजतर्रार अखिलेश पाठक को नियुक्त किया गया था। अखिलेश ने कंप्यूटर व फैक्स मशीन खरीद कर काम शुरू कर दिया था, इसी बीच सुधाकर शर्मा की पुनः वापसी कर दी गई। सूत्रों ने उस समय बताया था मुरादाबाद (वर्तमान संभल) जनपद के गाँव पवांसा निवासी शंकराचार्य राजराजेश्वाश्रम का एक मकान चंदौसी में भी हैं, उनसे परिचय निकाल कर सुधाकर ने एमडी राजुल माहेश्वरी को फोन कराया था। सूत्रों का ही यह भी कहना था कि राजुल माहेश्वरी शंकराचार्य की बात टालते नहीं है, इसलिए सुधाकर की वापसी हो गई, लेकिन इस सबके चलते अखिलेश पाठक का कई हजार का नुकसान हो गया था, वहीं उसकी सुधाकर शर्मा से सीधी रंजिश भी हो गई थी। अमर उजाला सुधाकर के मामले में कुछ ज्यादा की लचर दिख रहा है, जिससे सुधाकर की दहशत क्षेत्र में और भी बढ़ती जा रही है, क्योंकि जब तक वह अमर उजाला में है, तब तक वह चाहे जो करे, पुलिस उसके विरुद्ध कार्रवाई नहीं करेगी। सब कुछ जानते हुए भी अमर उजाला का शीर्ष नेतृत्व सुधाकर की खुलेआम जैसे मदद कर रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सुधाकर किसी दिन हत्या भी कर दे, तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
लेखपाल राजेन्द्र प्रसाद को फोन पर हड़काने की सुधाकर शर्मा की पूरी बात सुनने के लिए क्लिक करें आडियो लिंक
अमर उजाला रिपोर्टर सुधाकर शर्मा और एक लेखपाल के बीच हुई वार्ता
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