- बवाली सुधाकर को लेने के लिए प्रमोद मिश्रा का किया जा रहा था उत्पीड़न
- 12 साल से जागरण को रिपोर्टिंग कर रहे प्रमोद ने अमर उजाला ज्वाइन किया
अमर उजाला से बाहर निकाले गए कथित रिपोर्टर सुधाकर शर्मा द्वारा दैनिक जागरण के बवाली ब्यूरो चीफ लोकेश प्रताप सिंह की चरण वंदना की जा रही थी, जिसका असर दिखने लगा है। लोकेश से तंग आकर बिसौली में दैनिक जागरण के रिपोर्टर प्रमोद मिश्रा ने दैनिक जागरण छोड़ कर अमर उजाला ज्वाइन कर लिया है। माना जा रहा है कि अपने जैसे ही बवाली सुधाकर को जागरण में लेने के लिए लोकेश ने रास्ता तैयार किया है।
उल्लेखनीय है कि सुधाकर शर्मा जनपद बदायूं की तहसील बिसौली में अमर उजाला का संवाददाता था, लेकिन खुद को अमर उजाला का ब्यूरो चीफ बताता था। अमर उजाला की प्रतिष्ठा के चलते शासन-प्रशासन से जुड़े लोग सम्मान देते थे, जिसका खुल कर लंबे समय से दुरूपयोग कर रहा था। पिछले दिनों अपने किसी निहाल सिंह नाम के ख़ास व्यक्ति के काम को लेकर फोन पर बिल्सी तहसील में तैनात एक लेखपाल राजेन्द्र प्रसाद को हड़काने का मामला प्रकाश में आया था। दबंगई के साथ फोन पर लेखपाल और तहसीलदार को गालियाँ दीं थीं, जिसकी शिकायत लेखपाल ने अमर उजाला के शीर्ष प्रबन्धन से की, तो जांच के बाद अमर उजाला से सुधाकर को आउट कर दिया गया।
अमर उजाला से आउट होने के बाद सुधाकर ने दैनिक जागरण बदायूं के ब्यूरो चीफ लोकेश की चरण वंदना शुरू कर दी और लोकेश ने सुधाकर की चरण वंदना से खुश होकर जागरण के रिपोर्टर प्रमोद मिश्रा का उत्पीड़न शुरू कर दिया था, जिससे तंग आकर प्रमोद मिश्रा ने दैनिक जागरण से मजबूरी में अपना 12 साल पुराना रिश्ता तोड़ लिया। प्रमोद ने अमर उजाला ज्वाइन कर लिया है और वह अब बिसौली से ही अमर उजाला के लिए रिपोर्टिंग करेंगे।
लोकेश की मनमानी से तंग आकर अब तक तीन लोग जागरण छोड़ चुके हैं, जिसमें अमित सक्सेना भी अमर उजाला जा चुके हैं। पिछले दिनों केबी मिश्रा ने लोकेश के साथ काम करने से स्पष्ट मना कर दिया था, लेकिन उन्हें बरेली यूनिट में बुला लिया गया। आश्चर्य की बात तो यह है कि इतना सब होने के बावजूद बरेली, नोयडा और कानपुर में बैठे वरिष्ठ लोग लोकेश पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं, जबकि लोकेश ने अधिकाँश रिपोटर्स की जिन्दगी नरक से भी बदतर बना रखी है।
उधर सुधाकर जैसे बवाली को दैनिक जागरण में लेने की चर्चा के चलते अधिकाँश लोग स्तब्ध हैं कि ऐसे व्यक्ति को जागरण कैसे ले सकता है?, लेकिन विरोध के बावजूद कोई कुछ नहीं कर पा रहा, क्योंकि सेटिंग के दौर में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता, पर पत्रकारिता में भी इस हद तक अनदेखी की जा सकती है, यह बात सभी को स्तब्ध करने वाली है।
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अमर उजाला रिपोर्टर सुधाकर शर्मा और एक लेखपाल के बीच हुई वार्ता