– पत्रकारिता, सेटिंग, पहुँच और भय के चलते मौन हैं सब के सब
सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों को उजागर करते हुए आम आदमी को जागरूक करना एक पत्रकार का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, लेकिन बरेली में एक दम उल्टा हो रहा है। एक पत्रकार ही मांस तस्करों का सरगना है, जो पत्रकारिता की आड़ में करोड़ों का टर्नओवर कर रहा है। मांस तस्करों के इस पत्रकार सरगना के बारे में बरेली के सभी पत्रकारों के साथ वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों को भी जानकारी है, पर पत्रकारिता, सेटिंग और ऊंची राजनैतिक पहुँच के चलते सब के सब मौन हैं।
एक बड़े अखबार में बड़े पद पर काम कर चुके मांस तस्कर पत्रकार के बारे में सूत्रों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले यह पत्रकार प्रशासन की रिपोर्टिंग करता था, तभी इसकी जिला पंचायत में हड्डी-खाल का ठेका लेने वाले व्यापारी से सेटिंग हो गई। कुछ ही दिनों बाद यह पत्रकार हड्डी-खाल के ठेकेदार के साथ ही खाने-पीने लगा और उसके व्यापार में साझीदार भी हो गया। सूत्रों का कहना है कि पत्रकार और ठेकेदार ने जानवरों को काटना शुरू कर दिया और कुछ ही समय में देश के विभिन्न हिस्सों में मांस सप्लाई करने लगे। इस बीच पत्रकार का ओहदा जैसे-जैसे बढ़ता गया, वैसे-वैसे तस्करी का दायरा भी बढ़ता गया। सूत्रों का कहना है आज मांस की सप्लाई विदेशों तक की जा रही है, वहीं मांस के साथ पत्रकार और हड्डी-खाल के ठेकेदार ने मिल कर कई अन्य धंधे भी शुरू कर दिए हैं। तस्करी के बल पर ही आज यह लोग करोड़ों में खेल रहे हैं, लेकिन पत्रकारिता की ओट होने के कारण पत्रकारों के साथ पुलिस और प्रशासन में बैठे वरिष्ठ अफसर भी मौन हैं।
भय के चलते मौन हैं संपादक
प्रशासन और मीडिया को मैनेज करने का काम पत्रकार करता है, वहीं जानवर खरीदना, काटना और सप्लाई कराने का काम उसका साथी ठेकेदार करता है। सूत्रों का कहना है यह पत्रकार जब बड़े पद पर था, तब इसने प्रमुख अखबारों में अपने कई गुर्गे भर्ती कर लिए थे, जो आज भी उसके लिए ही काम कर रहे हैं। बरेली में पुलिस-प्रशासन में वरिष्ठ अधिकारी के बदलते ही यही गुर्गे नये अधिकारी से उसकी सेटिंग कराते हैं, जिससे धंधा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि यह सब संपादकों के संज्ञान में भी है, पर तस्करी के धंधे में आपराधिक प्रवृति के लोगों से भी उसके जुड़े होने की संभावनाएं हैं, जिससे अधिकाँश संपादक भय के चलते इस मुद्दे से नज़रें हटाये हुए हैं।
रीयल स्टेट के साथ अन्य धंधे भी शुरू किये
तस्करी के इस खेल में पत्रकार के साथ कुछ नेता भी हैं। उसकी अधिकांश दलों के प्रमुख नेताओं से सेटिंग है। जिसकी सत्ता होती है, उसकी सहायता लेने लगता है। सूत्रों का यह भी कहना है कि सब्जी और रीयल स्टेट के धंधे में उसके साथ कुछ नेता भी आ गये हैं। शहर में विभिन्न स्थानों पर इन लोगों की करोड़ों की जमीन हैं, जिसकी आड़ में तस्करी के प्रमुख धंधे से लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास भी है, लेकिन आय से अधिक संपत्ति के चलते आय कर का भी अपराधी है।
फिरोजन सब्जी के पैकेट में जाता है मांस
सूत्रों का यह कहना है कि इन लोगों ने मिल कर फिरोजन सब्जी का भी धंधा शुरू कर दिया है, लेकिन पैकेट में मांस ही जाता है। पैकेट बंद मांस अधिकाँश विदेशों को ही जाता है, जो बिना प्रशासनिक मदद के नहीं भेजा जा सकता। विदेशों तक फ़ैल चुके इस नेटवर्क को अब आसानी से खत्म भी नहीं किया जा सकता।
साथी तस्कर को समाजसेवी घोषित कर चुका है
तस्करों का सरगना यह पत्रकार पिछले साल तक एक कार्पोरेट द्वारा संचालित बड़े अखबार में बड़े पद पर था। सूत्रों का कहना है कि तब इस पत्रकार ने अपने साथी तस्कर की कई बेहतरीन स्टोरी छापी थीं, जिनमें साथी तस्कर को शहर का वरिष्ठ समाजसेवी घोषित करने का प्रयास किया गया था। इस पत्रकार की इसी तरह की हरकतें संस्थान के दिल्ली में बैठे अधिकारियों के संज्ञान में आ गईं, तो इसे अखबार से निकाल दिया गया। इसके धंधे के बारे में अन्य अखबारों के वरिष्ठ अधिकारियों को भी जानकारी है, जिससे इसे अन्य किसी अखबार ने नौकरी नहीं दी और विदेशों तक फैले तस्करी के धंधे को छोड़ कर बरेली से बाहर जाने की इसकी स्थिति नहीं थी, इसलिए सब कुछ मैनेज कर यहीं मौज ले रहा है।
शासन को करानी होगी उच्चस्तरीय कार्रवाई
सूत्रों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर इस पत्रकार का बेहतरीन प्रबंधन है, इसलिए स्थानीय स्तर पर इसके विरुद्ध न कोई बोलेगा और न ही कोई सुनेगा। नियम और कानून को ताक में उठा कर काम करने वाले इस पत्रकार का समाज के सामने असली चेहरा लाने के लिए शासन स्तर से उच्चस्तरीय कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि अपराधियों को यह सन्देश दिया जा सके कि क़ानून से बड़ा इस देश में कोई नहीं है।
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