नरेंद्र मोदी को षड्यंत्र में फांस नहीं पाये शातिर प्रदीप शर्मा

नरेंद्र मोदी को षड्यंत्र में फांस नहीं पाये शातिर प्रदीप शर्मा
कथित अन्तरंग संबंधों को लेकर चर्चा में आने वाली लड़की के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- फेसबुक)
कथित अन्तरंग संबंधों को लेकर चर्चा में आने वाली लड़की के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- फेसबुक)

नरेंद्र मोदी द्वारा अमित शाह के माध्यम से एक युवा महिला आर्किटेक्ट लड़की की जासूसी कराने के आरोप को लेकर राजनीति में तूफ़ान आया हुआ है। प्रकरण को लेकर चटखारेदार चर्चायें हो रही हैं। नरेंद्र मोदी के विरुद्ध जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग भी की जा रही है, जबकि अभी तक लड़की ने स्वयं कुछ नहीं कहा है, साथ ही लड़की के पिता द्वारा समस्त आरोपों को निराधार बताते हुए नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी जा चुकी है कि जासूसी उसके कहने पर कराई गई। इस सबके बावजूद मामले को लगातार हवा दी जा रही है। नरेंद्र मोदी और महिला आर्किटेक्ट के संबंधों को लेकर तरह-तरह की अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं, लेकिन पूरे मामले पर गंभीरता से नज़र डाली जाये, तो आरोप लगाने वाले शख्स की भूमिका इस प्रकरण में और अधिक संदिग्ध नज़र आ रही है।

क़ानून की दृष्टि से देखा जाये, तो कोर्ट सब से पहले यह देखती है कि आरोप लगाने वाला व्यक्ति कौन है और उसका अपना मंतव्य क्या है? इस दृष्टि से आरोप लगाने वाला शख्स गुजरात का एक निलंबित आईएएस अफसर है और वह व्यक्तिगत तौर पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह से खफा है। आरोप लगाने वाले निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा का कहना है कि एक महिला आर्किटेक्ट के चलते ही उनका शोषण किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में उनके द्वारा दाखिल की गई अर्जी की बात करें, तो लगता है कि युवा महिला आर्किटेक्ट और निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा के बीच भी ऐसे संबंध हैं या रहे हैं, जो सामान्य तो नहीं कहे जा सकते। नरेंद्र मोदी और उस लड़की के बीच अन्तरंग संबंधों का आरोप सही है या गलत, यह तो जांच का विषय है, पर फ़िलहाल यह साफ़ है कि निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा उस लड़की के करीब ज़रूर थे, वरना वह लड़की ऐसे संवेदनशील विषय पर उनसे बात कैसे कर पा रही थी?

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा द्वारा कही गईं सब बातें यदि सही हैं, तो वह एक-एक बात ऐसे बता रहे हैं, जैसे वो लड़की उनके लिए रिपोर्टिंग कर रही थी। रिपोर्टिंग करने की बात सही इसलिए भी लग रही है कि उस लड़की से प्रदीप शर्मा, नरेंद मोदी से पहले मिले थे और उन्होंने ही उसे नरेंद्र मोदी से मिलवाया। यह बात वह अपनी रिट में भी स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन सच इतना ही नहीं है। ऐसा लग रहा है कि नरेंद्र मोदी और लड़की को लेकर उनके मन में उस समय ही पूरी एक स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी होगी। लड़की के सहारे नरेंद्र मोदी को दबाव में लेने का मन उनका बन गया था, तभी वह छोटी-छोटी चीजें सुबूत के तौर पर जमा करते रहे। यह बात इसीलिए पुख्ता हो रही है कि वे खुद अपनी रिट में ऐसे-ऐसी बातें कह रहे हैं, जो सामान्य स्थिति में किसी बाहरी व्यक्ति को पता नहीं हो सकतीं। उन्होंने एक दिन का जिक्र किया है कि लड़की ने एयरपोर्ट से उन्हें फोन किया कि वो अहमदाबाद आ गई है और एयरपोर्ट से उनके पास आयेगी, लेकिन कुछ देर बाद उसका फोन बंद जाने लगा और लगातार दो दिनों तक बंद रहा, इतना ही नहीं, रिट में यह भी बताया गया है कि लड़की ने बाद में मिलने पर उन्हें बताया कि वह नरेंद्र मोदी के पास मुख्यमंत्री आवास में थी। उसने यह भी बताया कि होली के अवसर पर उसे बुखार आया, तो नरेंद्र मोदी ने डाक्टर बुलाने में यह कह कर असमर्थता जता दी कि यहाँ उसके उपचार के लिए डाक्टर बुला पाना संभव नहीं है। इससे तो यही सिद्ध हो रहा है कि उस लड़की और निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा के बीच में वास्तविक अन्तरंग संबंध थे, तभी वह उन्हें इस तरह से रिपोर्टिंग कर रही थी। अगर, ऐसा नहीं था, तो गुजरात में नरेंद्र मोदी से मिलने आ रही लड़की प्रदीप शर्मा को फोन क्यूं करेगी? और बता भी देगी, तो सिर्फ आने भर की जानकारी देगी। दो दिनों में वह कहाँ रही और उसने क्या-क्या किया?, इतना सब विस्तार से अक्षरशः क्यूं बतायेगी?

लड़की गुजरात में थी, तब तो प्रदीप शर्मा के संपर्क में होना सामान्य कहा भी जा सकता है, लेकिन गुजरात से जाने के बाद भी वह लड़की नरेंद्र मोदी के साथ निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा के संपर्क में लगातार रही, तभी विदेश से नरेंद्र मोदी द्वारा भेजे गये एसएमएस की जानकारी प्रदीप शर्मा को हो पाई। कोई भी महिला किसी पुरुष से अन्तरंग संबंध होने की बात कम से कम किसी अन्य पुरुष को यूं ही नहीं बताने लगेगी। वो भी तब, जब उसके संबंध एक शक्तिशाली मुख्यमंत्री से हों। कुछ भी कहने से पहले वह खुद के महिला होने की शर्म के अलावा मुख्यमंत्री के कद और डर का भी ख्याल रखेगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री की प्रेमिका होना कोई छोटी बात नहीं है। जो लड़की मुख्यमंत्री की प्रेमिका होगी, उसके मन में इस बात को लेकर अहंकार होगा। उस अहंकार के चलते वह किसी अफसर से ऐसी निजी बातें नहीं बांटेगी, इसके अलावा जो मुख्यमंत्री किसी लड़की के प्रेम में पागल होगा, वो मुख्यमंत्री उस लड़की को कई तरह से लाभ भी पहुँचायेगा, पर निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा ने ऐसा कोई खुलासा नहीं किया है कि नरेंद्र मोदी ने सत्ता का दुरूपयोग कर उस लड़की को कोई अनुचित लाभ पहुंचाया हो। नरेंद्र मोदी और उस लड़की के चरित्रहनन के अलावा निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा के आरोपों में और कुछ नज़र ही नहीं आ रहा। यही प्रतीत हो रहा है कि उन्होंने कुछ सही-गलत चीजों को जोड़ कर स्वहित के लिए पूरी एक कहानी गढ़ी है, जिसमें तमाम झोल हैं।

रिट पर नज़र डालने भर से ही प्रदीप शर्मा बड़े ही शातिर दिमाग व्यक्ति नज़र आ रहे हैं। उन्होंने एक-एक घटना को जोड़ कर नरेंद्र मोदी को फांसने और खुद को ईमानदार सिद्ध करने का प्रयास किया है, ताकि आरोपों के बाद होने वाली जांच और उसके सवालों से वह खुद बच सकें। उन सवालों से बचने के लिए ही प्रदीप शर्मा ने यह कहानी कुछ यूँ गढ़ी है कि मानो, उन्हें तो सब यूं ही पता चलता रहा और उन्होंने अपनी ओर से तो कोई प्रयास ही नहीं किया, जबकि यह स्पष्ट है कि वह पहले दिन से ही लड़की का लगातार दुरूपयोग कर रहे थे।

उनके द्वारा दायर रिट में दी जानकारी पर नज़र डालें तो सवाल उठते हैं कि निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा को नरेंद्र मोदी की कथित प्रेमिका के मोबाइल पर एसएमएस आने की जानकारी यूं ही कैसे हो गई? उन्होंने उस नंबर को अपने मोबाइल में सेव क्यूं किया और सेव कर भी लिया, तो उस पर कॉल क्यूं की? प्रदीप शर्मा जैसे व्यक्ति के मोबाइल से कोई नंबर ऐसे ही डायल नहीं हो सकता। जाहिर है कि अगर, प्रेम संबंध की बात सही है, तो निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा खुद भी उन संबंधों को लेकर नरेंद्र मोदी के संज्ञान में आना चाह रहे होंगे। नंबर डायल कर उनका यह प्रयास रहा होगा कि नरेंद्र मोदी को यह अहसास करा दें कि उन्हें संबंधों के बारे में सब कुछ पता है, ताकि नरेंद्र मोदी दबाव में आ जायें, लेकिन हुआ उल्टा। मिस कॉल के बाद नरेंद्र मोदी सतर्क हो गये और जासूसी शुरू करा दी। मतलब, कुछ भी निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा की तय स्क्रिप्ट के अनुसार नहीं हुआ, साथ ही वह उल्टा फंस गये और यह सब कर के वह नरेंद्र मोदी के मुख्य निशाने पर आ गये। सम्भावना तो यह भी है कि अपनी स्क्रिप्ट फेल होने के बाद उन्होंने उस लड़की पर नरेंद्र मोदी के विरुद्ध बयान या तहरीर देने का दबाव बनाया हो और लड़की के तैयार न होने पर उनके पास खुद सामने आने के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं बचा, तो अब वे खुद कोर्ट का सहारा लेकर नरेंद्र मोदी का राजनैतिक जीवन बर्बाद करने का कुत्सित प्रयास करने में लगे हैं। ऐसा नहीं है, तो उन्हें यह साफ़ करना चाहिए कि लड़की उन्हें पल-पल की जानकारी क्यूं दे रही थी?

पूरे प्रकरण में यदि जासूसी कराने का आरोप सही है तो नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जासूसी करने वाले अन्य अफसर मात्र मौखिक आदेश पर जासूसी कराने भर के ही दोषी नज़र आ रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री जैसे पद पर आसीन व्यक्ति के मौखिक आदेश के भी अपने मायने होते हैं, इसलिए उस मौखिक आदेश को भी अनैतिक या अवैधानिक तब नहीं माना जा सकता, जब उसे खुद को एक बड़े षड्यंत्र में फंसाए जाने का अंदेशा हो गया हो।

अब बात लड़की की करें, तो उसे मोहरा बना कर लगाये आरोपों के बाद से उस लड़की को प्रदीप शर्मा की असलियत पर गुस्सा ही आ रहा होगा। अपनी बेवकूफी पर वह झल्ला रही होगी कि एक आईएएस अफसर ने उसका दुरूपयोग कर लिया। जो भी था, सब अन्तरंग था और व्यक्तिगत था। कथित आंतरिक संबंधों को लेकर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले यह बताएं कि यह कहाँ लिखा है कि मुख्यमंत्री को ब्रह्मचारी होना चाहिए? नरेंद्र मोदी और उस लड़की के बीच वाकई, अन्तरंग संबंध रहे हैं, तो नरेंद्र मोदी का बड़ा गुनाह तब होता, जब वह सत्ता का दुरूपयोग कर उसे कोई ऐसा लाभ पहुंचाते, जिसकी वह अधिकारी नहीं थी, लेकिन किसी के कथित अन्तरंग संबंधों को सार्वजनिक करने का गुनाह प्रदीप शर्मा ने किया है, क्योंकि आरोपों के अनुसार कथित आंतरिक संबंधों को लेकर या नरेंद्र मोदी द्वारा अमित शाह के माध्यम से कराई गई जासूसी से वह लड़की नाराज होती, तो खुद सामने आकर कुछ कहती, लेकिन उसे सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत करने का काम प्रदीप शर्मा ने किया है, जो एक बड़ा गुनाह कहा जायेगा।

रिट में एक सेक्स सीडी का जिक्र किया गया है कि नरेंद्र मोदी को शक हुआ कि निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा के पास कोई सेक्स सीडी है, तो नरेंद्र मोदी ने उन्हें भ्रष्टाचार के झूठे आरोप में फंसवा दिया। इतना सब होने के बाद नरेंद्र मोदी को शक गलत नहीं था और कोई सीडी है, तो साफ़ है कि यह पूरा प्रकरण प्रदीप शर्मा के दिमाग की ही उपज है।

इसके अलावा एक ही लड़की से दो पुरुषों के संबंध हों, तो जो हुआ, वह सब होना स्वाभाविक ही है। मुख्यमंत्री जैसे पद पर आसीन व्यक्ति शक होने पर इतना तो पता लगायेगा ही कि वो दूसरा शख्स कौन है? और मुख्यमंत्री ऐसा हो, जिसके पीछे दुश्मनों के अलावा अपने भी पीछे पड़े हों, वह तो हर छोटे शक पर भी खुद को निश्चिन्त करना चाहेगा।

निलंबित आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा के आरोप सही हैं या गलत, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह साफ़ है कि युवा महिला आर्किटेक्ट के माध्यम से प्रदीप शर्मा मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फांसना चाह रहे थे, लेकिन वक्त ने नरेंद्र मोदी का साथ दिया, जिससे प्रदीप शर्मा ऐसा कुछ नहीं जुटा पाये, जिससे नरेंद्र मोदी को सीधे कठघरे में खड़ा कर सकें, लेकिन उनके पास जो कुछ है, उसी के माध्यम से एक कहानी गढ़ कर खुद को ईमानदार और नरेंद्र मोदी को चरित्रहीन साबित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें वो सफल इसलिए नहीं हो पाये कि कड़ियाँ ही आपस में सही से नहीं मिल रहीं। वह खुद को फंसाने की बात तो कह रहे हैं, पर साथ में यह सुबूत नहीं दे रहे कि वह निर्दोष कैसे हैं?

बी.पी.गौतम
बी.पी.गौतम

उनका प्रकरण विभागीय जांच तक सीमित होता, तो मुख्यमंत्री पर आरोप सही प्रतीत होते, वह तो जेल जा चुके हैं और उनका संपूर्ण प्रकरण अदालत में हैं, जहां वह खुद को निर्दोष साबित कर सकते हैं, इसके अलावा वह यह भी नहीं कह रहे कि उन्होंने गलत आवंटन नरेंद्र मोदी के दबाव में किया, ऐसा कहते तो भी उनके आरोपों में दम नज़र आता।

खैर, प्रदीप शर्मा अदालत में यह साबित करने में सफल हो गये कि नरेंद्र मोदी ने उनका शोषण कथित आंतरिक संबंधों की जानकारी होने के चलते ही किया, तो अदालत उन्हें बहाल कर देगी, लेकिन बड़े लोगों की लड़ाई में उस लड़की के चरित्र की जो धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, उसकी भरपाई कौन सी अदालत करेगी?