मायावती सरकार भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई थी, इसलिए आम आदमी ने प्रदेश में सत्ता परिवर्तन इस आशय से किया था कि सपा सरकार ऐसी व्यवस्था तैयार करेगी, जिसमें आम आदमी को सहूलियत होगी, लेकिन आम आदमी के लिए दुर्भाग्य की बात यह है कि हालात और भी दयनीय हो गए हैं। बदायूं में कलेक्ट्रेट और विकास विभाग की व्यवस्था दो ऐसे भ्रष्ट बाबुओं के हाथ में दे दी गई है कि आम आदमी के साथ कर्मचारी भी त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।
पहले बात कलेक्ट्रेट की करते हैं। जिलाधिकारी कार्यालय से संबद्ध बाबू संतोष शर्मा ने जब अति कर दी, तो तत्कालीन जिलाधिकारी मयूर माहेश्वरी ने इसका प्रवेश जिलाधिकारी आवास में निषेध कर दिया, लेकिन उनके तबादले के बाद संतोष का राज फिर कायम हो गया। वर्तमान में कलेक्ट्रेट के साथ जिले भर में असली डीएम इसे ही कहा जाता है, इसी तरह विकास विभाग में फहीम अली रिज़वी कुख्यात है, जबकि तत्कालीन डीएम एम. देवराज ने इसे अपने हाथों से उठा कर सीडीओ कार्यालय से भगाया था, लेकिन इसके बाद संजय शर्मा ने आतंक कायम कर दिया। सत्ता परिवर्तन के बाद सीडीओ ने संजय को तो हटा दिया, लेकिन उसके साथ ही फहीम को पुनः संबद्ध कर लिया।
सीडीओ कार्यालय से संबंध फहीम ही असली सीडीओ है। इसके बारे में कहा जाता है कि सभी विभागों में तैनात महिला कर्मचारियों का विशेष तौर पर शोषण करता है, लेकिन सीडीओ के साथ सत्ताधारियों का खुला सरंक्षण होने के कारण संतोष और फहीम दोनों के ही विरुद्ध किसी में बोलने तक का साहस नहीं है, जिससे जिले भर के लोगों के साथ कर्मचारी भी त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।