जो देवराज न कर पाये, वो मयूर माहेश्वरी ने किया

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भ्रष्ट बाबूओं का डीएम आवास पर प्रवेश प्रतिबंधित

बदायूं में तैनात रहे जिलाधिकारियों में तेजतर्रार और ईमानदार जिलाधिकारी की चर्चा करते ही जनता द्वारा पहला नाम एम. देवराज के रूप में ही लिया जाता है, लेकिन तेजतर्रार और ईमानदार जिलाधिकारी होने के बावजूद एम. देवराज भी अपने कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा पाये थे। एम. देवराज जो नहीं कर पाये, वो मयूर माहेश्वरी ने कर दिखाया है, जिससे भ्रष्ट बाबू और अफसर उनके नाम से ही कांपने लगे हैं। जिलाधिकारी रहते हुए एम. देवराज ने कई ऐसे काम किये, जो सालों तक याद रखे जायेंगे। उनकी स्पष्ट और पारदर्शी कार्यप्रणाली के कारण सत्ताधारी विधायक उनके सामने आने से कांपने लगे थे। अधिकारी और कर्मचारी उनके सामने थर-थर कांपते थे। एम. देवराज की दहशत के चलते प्रशासनिक कार्यालयों के साथ पुलिस के थानों में भी नेताओं ने आना-जाना और फोन तक करना बंद कर दिया था, क्योंकि थानाध्यक्ष अधिकांश मामलों में यही जवाब देते थे कि यह मामला डीएम साहब के संज्ञान में है और यह सुनते ही नेता मौन हो जाते थे। एम. देवराज का काम करने का अंदाज एक दम फिल्मी था। पहले कार्रवाई और बाद में जांच कराते थे, जिससे उनकी दहशत हर कार्यालय में देखी जा सकती थी। उनके कार्यकाल में प्रति माह केरोसिन और खाद्यान्न का वितरण मानक के अनुरूप और निर्धारित दरों पर होने लगा था। प्रत्येक विद्यालय में मिड डे मील पकने और बंटने लगा था। शराब की दुकानें ने नियम से खुलने और बंद होने लगी थीं, जिससे वह जनता में लोकप्रिय हो गये। उनसे मिलने के लिए कार्यालय पर जन सैलाब उमडऩे लगा था। उन्होंने भी एक दिन में शिकायतें सुनने के नये रिकार्ड कायम किये थे, लेकिन अपने कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर वह भी अंकुश नहीं लगा पाये, पर वह काम वर्तमान जिलाधिकारी मयूर माहेश्वरी ने कर दिखाया है। डीएम आवास पर तैनात संतोष शर्मा नाम का बाबू जिले भर में कुख्यात है। जिलाधिकारी का भय दिखा कर अन्य विभागों बाबुओं और अफसरों से वसूली करना इसके लिए आम हो गया था। हालांकि डीएम कार्यालय में इसकी नियुक्ति नहीं हुई है, पर राजनैतिक पहुंच के बल पर खुद को डीएम आवास से संबद्ध करा लेता है। डीएम की गाड़ी तक को इस्तेमाल करता देखा गया है। इस कुख्यात बाबू संतोष शर्मा को जिलाधिकारी मयूर माहेश्वरी ने अपने आवास से हटा कर कचहरी स्थिति कार्यलय से संबद्ध कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि संतोष का डीएम के आवास पर आना प्रतिबंधित है। इसके अलावा जिलाधिकारी ने अन्य विभागों के बाबुओं का भी आवास पर प्रवेश प्रतिबंधित करा रखा है। जिलाधिकारी से संबंधित पत्रावली होने पर बाबू मुख्य गेट पर ही होमगार्ड को पत्रावली देते हैं और होमगार्ड तत्काल कार्यालय में लाकर दिखाता है। तत्काल करने वाले कार्य तत्काल कर पत्रावली तत्काल ही दे दी जाती है, वरना बता दिया जाता है कि अमुक समय आकर ले जायें। जिलाधिकारी मयूर माहेश्वरी के इस निर्णय से डीएम आवास पर रहने वाला जमावाड़ा समाप्त हो गया है, वहीं कार्यालय स्टाफ द्वारा डीएम की दहशत दिखा कर की जाने वाली वसूली पर पूरी तरह अंकुश लग गया है, वरना ईमानदार होने के बावूजद कार्यालय का स्टाफ डीएम की भूमिका को संदिग्द बना कर खुद वसूली करता रहता था। इसके अलावा जिलाधिकारी मयूर माहेश्वरी ने तहसील से बनने वाले जाति, आयु व मूल निवास प्रमाण पत्रों पर होने वाली लूट पर पूरी तरह रोक लगा दी है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं कि शिकायत आने पर वह दोषी को छोड़ेंगे नहीं।

आवास पर न मिलने से आम आदमी को है परेशानी जिलाधिकारी मयूर माहेश्वरी ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए आवास पर जुटने वाली भीड़ पर पूरी तरह रोक लगा दी है, जिसके कुछ नुकसान भी हैं। डीएम और एसपी जनपद मुख्यालय पर ऐसे अधिकारी हैं, जिनके बल पर ही पूरा शासन चलता है और कार्यालय समय के आगे-पीछे कुछ होने पर आम आदमी तत्काल बड़े अधिकारियों से ही मिलना चाहता है, लेकिन आवास पर प्रतिबंध होने के कारण आम आदमी भी उनसे नहीं मिल पाता।

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