ज्योति शर्मा यौन शोषण प्रकरण में आज आरोपी पूर्व बसपा विधायक योगेन्द्र सागर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वह इस समय नोयडा स्थित प्रयाग नाम के अस्पताल में भर्ती हैं। पीड़ित ज्योति बदायूं जिले के कस्बा बिल्सी की निवासी है। घटना वर्ष 2008 की है। उस समय वह बीए की छात्रा थी। 23 अप्रैल की दोपहर में वह अपने घर से सहेली के घर नोटस लेने के लिए निकली थी, पर शाम तक नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसके बारे में सहेली के घर पूछताछ की। पता चला कि ज्योति तो सहेली के घर पहुंची ही नहीं है। यह जानकर परिजनों के होश उड़ गये। ज्योति के पिता कुलदीप किशोर शर्मा ने बिल्सी थाना पुलिस को ज्योति के गायब होने की सूचना दी, पर पुलिस ने न शिकायत दर्ज की और न ही ज्योति को ढूंढऩे का उचित आश्वासन दिया। बुजुर्ग कुलदीप किशोर शर्मा अगले दिन जिले के उच्चाधिकारियों से भी मिले, पर किसी से कोई मदद नहीं मिली।
घटना के करीब सात दिन बाद उस समय बरेली रेंज के आईजी जावीद अहमद बदायूं आये, तो उन्होंने पत्रकारों के साथ एक बैठक रखी। वार्ता के दौरान पत्रकारों ने आईजी को ज्योति के गायब होने की घटना से अवगत कराया और बिल्सी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किये, तो आईजी ने मुकदमा दर्ज करा दिया, पर मुकदमे में बिल्सी विधान सभा क्षेत्र के उस समय के बसपा विधायक योगेन्द्र सागर का नाम पुलिस ने नहीं लिखा। मुकदमा आरोपी विधायक के रिश्तेदार व प्रतिनिधि तेजेन्द्र सागर व उसके एक दोस्त मीनू शर्मा के खिलाफ ही दर्ज किया गया। पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की। सत्तापक्ष व विधायक के करीबी होने के कारण दोनों नामजद आरोपी खुलेआम घूमते रहे और पीडि़त परिवार को ही धमकाते रहे। इस बीच आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाये पुलिस ने एक कहानी गढ़ी कि ज्योति एक मुस्लिम युवक के साथ भाग गयी है। यह कहते हुए पुलिस ने नामजदों के खिलाफ कार्रवाई करने से मना कर दिया, पर वह मुस्लिम युवक कौन है और कहां का है। इस का जवाब पुलिस नहीं दे पायी। पुलिस द्वारा खुलेआम किये जा रहे इस पक्षपात से जनता भडक़ उठी और पूरे जिले में आंदोलन, चक्का जाम और पुतला दहन का दौर शुरु हो गया। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाये पुलिस प्रदर्शनकारियों पर ही मुकदमे ठोंकने लगी। दो दर्जन से अधिक लोगों पर विभिन्न थाना क्षेत्रों में मुकदमे लिखा दिये गये। जनता डरने की बजाये और ज्यादा भडक़ गयी। हर जाति और हर धर्म के लोग ज्योति की बरामदगी व आरोपी विधायक व साथियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे, तो शासन ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी। जो सीबीसीआईडी जांच करने में महीनों ही नहीं, बल्कि सालों लगा देती है, लेकिन इस मामले में कुछ ही हफ्तों में जांच पूरी कर ली गयी और लखनऊ से बयान आया कि आरोपी विधायक योगेन्द्र सागर निर्दोष है, जबकि पीडि़त लडक़ी लगातार विधायक के खिलाफ बयान दे रही थी।
उधर पुलिस ने दबाव में ज्योति को जनपद मुजफ्फनगर के रेलवे स्टेशन से बरामद दिखा दिया। पुलिस ने बताया कि 16/17 मई 2008 की रात में स्टेशन पर अकेली खड़ी थी। बरामदगी के बाद पुलिस ने ज्योति को किसी से नहीं मिलने दिया। जिला मुख्यालय लाने की बजाये कस्बा उझानी के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ज्योति का मेडीकल परीक्षण कराया गया, क्योंकि वहां परीक्षण करने वाली डाक्टर आरोपी विधायक की रिश्तेदार तैनात थी। इसीलिए ज्योति की मेडीकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। हजारों लोगों की मौजूदगी के कारण विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच ज्योति को अगले दिन अदालत में पेश किया गया, तो लोग ज्योति की दशा देख कर हैरान रह गये। न वह सही से देख पा रही थी, न चल पा रही थी और न ही ठीक से बोल पा रही थी। अदालत में भी वकील व जज सवाल कुछ रहे थे और ज्योति जवाब कुछ दे रही थी। आरोपी पक्ष ज्योति को विक्षिप्त करार देने पर तुला हुआ था। ज्योति किसके पास रहेगी?, यह निर्णय न होने के कारण ज्योति को बरेली स्थित नारी निकेतन भेज दिया गया। नारी निकेतन में भी ज्योति को परिजनों से नहीं मिलने दिया गया, जब कि विधायक पक्ष के लोग उसे लगातार धमकाते रहे। बाद में अदालत के आदेश पर पुलिस ने ज्योति को उसके पिता कुलदीप किशोर शर्मा के हवाले कर दिया, तब ज्योति ने सनसनीखेज खुलासे किये कि उसे अगवा कर लखनऊ में एक कमरे में बंधक बना कर रखा गया। ज्योति ने यह भी बताया कि विधायक योगेन्द्र सागर के अलावा और कई लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया। इस दौरान उसे नशे के इंजेक्शन व गोलियां भी दी गयीं। मुंह खोलने पर पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी दी गयी। ज्योति ने यह भी बताया कि उसे बेच दिया गया और मुजफ्फनगर से मुंबई पहुंचा कर विदेश भेजने का षढय़ंत्र भी रच लिया गया था। इसी दौरान मुजफ्फनगर से उसे पुलिस अपने साथ ले आई।
सीबीसीआईडी ने आरोपी विधायक योगेन्द्र सागर को दोष मुक्त करार दे दिया, तो बिल्सी थाना पुलिस ने विधायक के रिश्तेदार तेजेन्द्र सागर व उसके दोस्त को बरी कर दिया। ज्योति के अपहरण का पूरा मामला ही पुलिस ने दबा दिया, जैसे कोई घटना ही नहीं हुई थी। ऐसे में ज्योति और उसके परिजनों के पास न्याय पाने का एक मात्र सहारा अदालत ही बची थी। ज्योति के पिता कुलदीप किशोर शर्मा ने अदालत का दरबाजा खटखटाया। लंबी सुनवाई व कागजी जांच पड़ताल के बाद अदालत ने बसपा विधायक योगेन्द्र सागर, रिश्तेदार तेजेन्द्र सागर व उसके दोस्त को दोषी मानते हुए अपना पक्ष रखने के लिए तलब कर लिया। विधायक पक्ष अदालत में अपील दर अपील करता रहा। जिला न्यायालय से राहत नहीं मिली, तो उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय तक मामला पहुंचा, पर आरोपियों को अदालत से राहत नहीं मिली, साथ ही प्रदेश में बसपा की जगह सपा की सरकार आ गई, तो विधायक भूमिगत हो गये, जो उच्च न्यायालय के कड़े आदेश के बाद अब सामने आये हैं, लेकिन बीमार हैं, जिन्हें पुलिस ने अस्पताल में ही गिरफ्तार कर लिया है। इस प्रकरण दो आरोपी पहले से ही जेल में हैं और मीनू बीमारी के चलते मरणासन्न अवस्था में है। इससे पहले पूर्व विधायक ने बसपा सरकार में ज्योति के परिवार पर कहर भी ढाया। ज्योति के दोनों भाईयों और गवाह पर एक लडक़ी के अपहरण का मामला दर्ज करा दिया गया था, जिसमें वह सब जेल भी जा चुके हैं।