– चौरासी कोसी यात्रा को लेकर धार्मिक भावनायें भड़काने का प्रयास कर रहे चिन्मयानंद से साध्वी चिदर्पिता ने किये सवाल
चौरासी कोसी यात्रा को लेकर एक बार फिर धार्मिक भावनाएं भड़काने का प्रयास कर रहे कथित संत चिन्मयानंद से साध्वी चिदर्पिता ने मीडिया के माध्यम से कुछ सवाल पूछे हैं। विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने कथित संत चिन्मयानंद से सार्वजनिक रूप से जवाब देने को कहा है।
साध्वी चिदर्पिता के अनुसार सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक स्तर पर पूरी तरह शून्य हो चुके चौरासी कोसी परिक्रमा को लेकर विवाद उत्पन्न कर के पुनः चर्चा में आने का प्रयास करने वाले कथित संत चिन्मयानंद से बतायें कि वह कौन से संत समाज के अगुआ बनकर चौरासी कोसी यात्रा को निकालने की जिद कर रहे हैं? कौन से अखाड़े के एवं कितने लोग उनके साथ हैं? उनका कहना है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री आज़म खां को कोसने से पहले वह देश की जनता को यह बताएं कि क्या वह स्वयं राम नाम का जप करते हैं? हरिद्वार में भागीरथी के किनारे विशाल आश्रम हैं जहाँ गंगा के नाम पर अपार चंदा आता है, पर यह बताएं कि उन्होंने कब से गंगा स्नान नहीं किया है?
साध्वी का कहना है कि जो व्यक्ति राम नाम का कभी जप नहीं करता, गंगा किनारे रहने के बावजूद गंगा स्नान नहीं करता, आचमन नहीं करता, आश्रम में रहने के बावजूद आश्रम के ही मन्दिर में जो व्यक्ति कभी जल नहीं चढ़ाता, जहाँ बड़े से बड़े व्यक्ति के जूते उतरवाये जाते हैं, जहाँ लोग मंदिर की ही भाँति पूजा-अर्चना करते हैं, उस गुरु गद्दी के आगे जो जूते पहनकर जाता है, वह व्यक्ति जब राम मंदिर के निर्माण और चौरासी कोसी यात्रा की जिद करता दिखता है, तो हास्यास्पद लगता है।
उनका सवाल है कि आश्रम द्वारा संचालित शैक्षिक संस्थाओं में उन्होंने अपने परिजनों को नौकरी क्यों दे रखी है? संत के लिए तो सम्पूर्ण समाज एक सा ही होना चाहिए और नियमानुसार भी संस्था की समिति का कोई भी पदाधिकारी अपने खून के रिश्ते को वेतनभोगी कर्मचारी नहीं बना सकता, तो उनके रिश्तेदार आश्रम में क्यों रहते हैं? शुरुआत में जब संत राजनीति में आये तो आलोचना होने पर यह तर्क दिए गए कि संतों के आने से पतित हो चुकी राजनीति पुनः स्वच्छ हो जाएगी, लेकिन कथित संत चिन्मयानंद की स्वयं की शैक्षिक संस्थाओं में ही करोड़ों के घोटाले हैं, शैक्षिक संस्थाओं और शिक्षा के विकास के लिए उपयोग होने वाले धन से वह खुद मोबाईल, गाड़ी क्यों खरीदते हैं? संपन्न होने के बावजूद रोटी तक शैक्षिक संस्थाओं के धन से ही क्यों खाते हैं? आश्रम का खाने की बजाय होना तो यह चाहिए कि वे अपने संपर्क के लोगों से सहयोग लेकर संस्थाओं और आश्रमों का चहुंमुखी विकास करें। चौरासी कोसी परिक्रमा पर प्रतिबंध आज लगा है, पर यह तिथि, महीना, रितु प्रतिवर्ष आते हैं, तो चिन्मयानंद बताएं कि पिछले 12 वर्षों में उन्होंने कितनी बार यह परिक्रमा की है? इस चौरासी कोसी यात्रा का ध्यान उन्हें इससे पहले क्यों नहीं आया? आज वे कह रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण आन्दोलन कभी रुका ही नहीं था, तो साथ में यह भी स्पष्ट करें कि यह आन्दोलन कब, कहाँ और कैसे चल रहा था? यदि वाकई चल रहा था तो यह भी स्पष्ट करें कि क्या उनका भारत की न्याय व्यवस्था में विश्वास नहीं है? जब श्रीराम मंदिर का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है, तो वे गोपनीय या सार्वजानिक तौर पर आन्दोलन चला ही क्यों रहे थे?
साध्वी का कहना है कि शाहजहाँपुर की जनता ने उन्हें भली-भाँति जानने के कारण लोकसभा चुनाव में पहली बार में ही नकार दिया था, लेकिन वे स्पष्ट करें कि अपने किसी भी क्षेत्र से दोबारा चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाए? लोगों की धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग कर बदायूं, मछलीशहर और जौनपुर से सांसद रह चुके चिन्मयानंद यह भी बताएं कि इन लोकसभा क्षेत्रों से क्या उनका अब कोई सरोकार है? क्या उनके पास इन क्षेत्रों से जुड़ा एक भी मुद्दा नहीं है, जो एक बार फिर धार्मिक भावनाओं के सहारे ही राजनीति के मैदान में आना चाह रहे हैं?
उन्होंने एक सवाल विश्व हिन्दू परिषद् और भारतीय जनता पार्टी से भी किया है कि आखिर उनकी क्या मजबूरी है जो एक ऐसे दागी व्यक्ति को साथ लेने की जिसे उसके अपने आश्रम की ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी के पद से बेदखल कर दिया गया है। क्या उनके पास राम मंदिर के लिए साथ चलने वाले लोगों का अकाल पड़ गया है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम की मर्यादा की भी अनदेखी की जा रही है? क्या वे निर्णय होने तक, छवि बेदाग साबित होने तक ऐसे लोगों से दूरी बनाना उचित नहीं समझते?
मुमुक्षु आश्रम शाहजहांपुर की पूर्व प्रबंधक साध्वी चिदर्पिता सरस्वती के सवालों के बाद कथित संत चिन्मयानंद के जवाबों का इंतजार है।