बदायूं जिले में बहुत कुछ बदल गया है। सड़कें, पेयजल, सिंचाई, आवास, शिक्षा, चिकित्सा के साथ अन्य तमाम क्षेत्रों में सराहनीय विकास कार्य हुए हैं, लेकिन अब भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसका बदलना जरूरी है। अफसरशाही और बाबूगीरी के आतंक से निजात मिल जाये, तो बाकी चीजें स्वतः सही हो जायेंगी। लोगों के अंदर बैठी हीन भावना जब तक खत्म नहीं होगी, तब तक बदलाव दिखेगा ही नहीं। लोगों को यह अहसास दिलाना होगा कि लेखपाल से लेकर डीएम तक सब आपके सेवक हैं और इनकी सेवायें लीजिये, पर लोगों में ऐसा भाव पैदा करने वाला जनप्रतिनिधि अभी तक नहीं आया है। अखिलेश यादव से ऐसी ही उम्मीद थी, लेकिन वे भी अफसरशाही और बाबूगीरी खत्म नहीं कर पाये।
बदायूं लोकसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री के अनुज धर्मेन्द्र यादव सांसद हैं, इसके बावजूद अफसर सेवा भाव की जगह जनता के साथ बादशाहों की तरह व्यवहार करते हैं। आज तहसील सहसवान में डीएम का दरबार लगा, जिसमें डीएम चन्द्रप्रकाश त्रिपाठी मिनरल वॉटर, काजू, नमकीन और बिस्किट की प्लेट सज़ा कर ऐसे बैठे, जैसे वह राजा हैं और प्रजा की समस्यायें सुनने आये हैं। मातहतों ने महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की लाइन लगवा दी और एक-एक कर लोग डीएम के सामने राजा की ही तरह पेश किये गये। डीएम ने प्रजा की शिकायतें सुनने की औपचारिकता पूरी की और लौट आये। सूचना कार्यालय का काम पीआर एजेंसी की तरह डीएम की छवि चमकाने का ही होता है, सो खबरें छाप दी जायेंगी कि डीएम ने सैकड़ों शिकायतें सुनीं, कईयों को हड़काया और कईयों को चेतावनी दी, जबकि जो लोग आज शिकायतें लेकर आये थे, यही लोग अगली बार भी आयेंगे, क्योंकि इनमें से आधे लोगों की भी समस्या का समाधान नहीं होगा और आधे से अधिक लोगों की शिकायतें तो रजिस्टर्ड तक नहीं हुई होंगी, पर कोई क्या कर सकता है। बनाने वालों ने ऐसा सिस्टम बनाया है, जिसमें डीएम से जवाब तलब करने का अधिकार किसी को नहीं दिया गया है। आम आदमी देश का मालिक बस, कहने भर को ही है।
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