- प्रशासन और विकास विभाग के अधिकाँश अधिकारियों के आवासों पर संबद्ध हैं कर्मचारी
- जिले भर के गाँवों की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट, गाँवों में गंदगी से मचा हाहाकार
- शीर्ष नेताओं के साथ शीर्ष अधिकारी भी संलिप्त, परेशान ग्रामीण किस से लगाएं गुहार
बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री मायावती ने गाँवों को साफ़ और स्वच्छ रखने की दृष्टि से व्यापक स्तर पर सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति कराई थी और सफाई कर्मियों को गाँव-गाँव तैनात करा दिया था। इसके बावजूद कुछ गाँव ऐसे भी रह गए थे, जहाँ सफाई कर्मियों की नियुक्ति नहीं हो पायी थी, साथ ही कुछ गाँव इतने बड़े हैं, जहाँ दो या तीन सफाई कर्मियों की आवश्यकता है। यह कमी दूर करने की बजाय गाँव में तैनात सफाई कर्मियों को अधिकारीयों व नेताओं ने अपने कार्यालयों और आवासों पर सम्बद्ध कर रखा है। कर्मचारियों की नियमावली के विरुद्ध सम्बद्ध कर उनसे खुलेआम निजी कार्य कराये जा रहे हैं, लेकिन किसी को कोई आपत्ति नहीं है। आपत्ति होगी भी क्यूं, क्योंकि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीयों के साथ शीर्ष नेताओं के आवासों पर भी सफाई कर्मचारी सम्बद्ध हैं, जिससे गांवों में सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
जिला पंचायत राज अधिकारी बदायूं के कार्यालय के अनुसार, सांसद धर्मेन्द्र यादव के आवास पर एक, विधायक सहसवान के आवास पर दो, खंड विकास अधिकारी दहगवां के कार्यालय पर दो, खंड विकास अधिकारी सहसवान के कार्यालय में एक, सिटी मजिस्ट्रेट बदायूं के आवास पर एक, शेखुपुर के विधायक के आवास पर एक, खंड विकास अधिकारी कादरचौक के कार्यालय पर एक सफाई कर्मचारी तैनात है। जिला पंचायतराज अधिकारी बदायूं के खुद के आवास और कार्यालय पर चार, जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी के कार्यालय पर चार, डीआरडीए के परियोजना निदेशक के कार्यालय और आवास पर पांच, तहसीलदार बिसौली के आवास पर दो, जिला विकास अधिकारी के कार्यालय और आवास पर चार, एडीएम प्रशासन के कार्यालय और आवास पर तीन, एमएलसी बनवारी सिंह यादव के आवास पर दो, शहर विधायक के आवास पर दो, मुख्य विकास अधिकारी के कार्यालय और आवास में चार, जिला राजस्व अधिकारी के कार्यालय में एक, निर्वाचन कार्यालय में एक, विधायक बिसौली के आवास पर दो, ब्लॉक प्रमुख बिसौली के आवास पर एक, खंड विकास अधिकारी उसावां के आवास पर एक, खंड विकास अधिकारी दातागंज के आवास पर एक कर्मचारी के साथ जिला अधिकारी के आवास पर भी पांच सफाई कर्मचारी सम्बद्ध हैं। ऐसे में ग्राम प्रधान या ग्रामीण गाँव में सफाई न होने की शिकायत आखिर किससे करें?
इस सबके अलावा जिला मुख्यालय पर कोई बड़ा सरकारी कार्यक्रम या सत्ताधारी दल का कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, तो उसमें जिले भर के सैंकड़ों सफाई कर्मियों को बुलाकर निजी मजदूरों की तरह लगा दिया जाता है। इसीलिए जिले भर के गाँवों की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट है।