शाहजहांपुर का नाम सुनते ही देश भर के लोगों के मन में श्रद्धा का भाव उत्पन्न हो जाता है, लेकिन अमर शहीदों का यह नगर अब धूर्त चिन्मयानंद जैसे कथित संतों के कुकर्मों के कारण कुख्यात होता जा रहा है। स्वामी राममुरारी जैसे लोग इस नगर की छवि को और भी धूमिल कर रहे हैं, लेकिन इतना सब होने के बावजूद शहीदों के वंशजों के खून में अब भी उबाल नहीं आ रहा है। अगर, शाहजहाँपुर के लोग इन धूर्तों के विरुद्ध लामबंद हो जायें, तो कुकर्म बंद होने के साथ यह धूर्त देश भर में कहीं मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे।
सब से पहले बात कथित संत चिन्मयानंद की करते हैं। गेरुआ कपड़ों और लोगों की भावनाओं का दुरुपयोग कर संसद ही नहीं पहुँच गया, बल्कि देश के गृह राज्यमंत्री जैसे अहम पद पर भी जा बैठा, लेकिन हरकतें गली के छिछोरों से भी बदतर रही हैं। शुरू से ही नाबालिग, गरीब और मजबूर लड़कियों का शोषण करता रहा है, इसीलिए इसका मुमुक्षु आश्रम आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बनने की जगह अय्याशी का अड्डा बन कर रह गया। पद, पैसा, प्रतिष्ठा और सेटिंग के चलते शासन-प्रशासन, न्यायालय और मीडिया में इसकी गहरी पैठ है, जिसके बल पर आज तक सलाखों के पीछे जाने से बचा हुआ है। आर्थिक अपराधों में भी पीछे नहीं है, इसकी हर संस्था में लाखों के घोटाले हैं, संस्थाओं में नियुक्तियाँ अवैध हैं, सगे परिजनों को नौकरी दे रखी है, जबकि प्रबंध समिति का पदाधिकारी परिजनों को नियुक्त नहीं कर सकता, साथ ही परिजनों के लिए बेईमानी करने वाला संत कैसे हो सकता है?
जिला स्तरीय प्रशासन में इसके विरुद्ध कार्रवाई करने की शक्ति और साहस नहीं है, लेकिन इसकी पैठ उच्चस्तरीय भी कम नहीं है, इसलिए इसके विरुद्ध कार्रवाई हो पाना वाकई बड़ी बात होगी, इसी तरह पिछले कुछ समय से ऋषी आश्रम भी विवादों में है। यहाँ के कथित संत मुरारी चैतन्य पर उनकी पत्नी ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनकी पत्नी साध्वी प्रज्ञा भारती का आरोप है कि मुरारी चैतन्य आश्रम की जमीन को बेचकर पैसा बना रहे हैं और विरोध करने पर उन्हें बुरी तरह पीटा भी, लेकिन उनके प्रार्थना पत्रों पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। वह पिछले दिनों कलेक्ट्रेट में पहले धरने पर और बाद में भूख हड़ताल पर भी बैठीं, फिर भी कुछ नहीं हुआ।
शहीदों की नगरी में पाप के बीज चाहे जिसने बोये हों, पर इन कंटीले पेड़ों को अब उखाड़ना होगा। माना कथित संत चिन्मयानंद मगरमच्छ है, लेकिन बाकी सब भी कम शातिर नहीं हैं, इसलिए इनका पुलिस और कानून कुछ नहीं कर सकते, इनके विरुद्ध जनसमूह को ही आवाज उठानी होगी और शाहजहाँपुर के शहीदों के वंशजों की आत्मा जिस दिन जाग गई, उसी दिन इन कुकर्मियों की सामाजिक मृत्यु हो जायेगी, जिससे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचेंगे।