बदायूं महोत्सव को लेकर जनभावनाओं के विपरीत जाने की हिम्मत नहीं पड़ी, तभी नेता उद्घाटन से किनारा कर गये, जिससे महोत्सव का उद्घाटन भ्रष्टाचारियों के संरक्षक जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी ने ही किया। इस मौके पर भ्रष्टाचारियों की चौकड़ी के अलावा शहर और जिले भर से संभ्रात लोग उपस्थिति तक दर्ज कराने नहीं आये, वहीं भ्रष्टाचार और मनमानी के विरोध में चल रहा क्रमिक अनशन जारी है। हालांकि सिटी मजिस्ट्रेट ने मांगे मानने का आश्वासन दिया, पर सिटी मजिस्ट्रेट न लिख कर देने को तैयार हुए और न ही मीडिया के समक्ष बोलने को तैयार हुए, तो अनशनकारी भी अनशन समाप्त करने पर अड़े हुए हैं।
जिले भर में हो रही फजीहत के बावजूद आज भ्रष्टाचारियों के संरक्षक जिलाधिकारी चन्द्रप्रकाश त्रिपाठी ने अपने अधीनस्थ मुख्य विकास अधिकारी उदयराज सिंह, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) मनोज कुमार तथा उप जिलाधिकारी प्रदीप कुमार यादव के साथ बदायूं क्लब पहुंचे और बदायूं महोत्सव का फीता काट कर उद्घाटन किया, साथ ही मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप भी प्रज्ज्वलित किया। भ्रष्टाचार के महोत्सव को जिलाधिकारी ने बड़ी ही बेशर्मी के साथ गौरव बताते हुए कहा कि उनका प्रयास है कि गत वर्षों की अपेक्षा कुछ नया किया जाए। उन्होंने कहा कि बदायूं महोत्सव से सम्मानित लोगों को जोड़ा जाए, जिससे उन्हें गर्व की अनुभूति हो, पर नेताओं की तरह भाषण देने में पारंगत डीएम ने क्लब के अध्यक्ष होने के बावजूद अभी तक खुद किसी सभ्रांत व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया है।
भ्रष्टाचारियों के संरक्षक जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि महोत्सव आयोजन में पूर्ण पारदर्शिता रखी जाए और आय-व्यय का लेखा-जोखा भी सुव्यवस्थित ढ़ंग से तैयार किया जाए, जिससे आय और व्यय की स्थिति स्पष्ट रहे, लेकिन यह नहीं बताया कि जिले भर से तमाम लोगों ने किस के आदेश से चंदा वसूला और क्यूं वसूला। डीएम ने आयोजकों से यह भी नहीं पूंछा कि उद्घाटन के अवसर पर शहर के लोग क्यूं नहीं आये और बेशर्मी के साथ स्कूल की कुछ लड़कियों और अपने चापलूसों की मौजूदगी में ही उद्घाटन कर दिया।
उधर महोत्सव के नाम पर खुद की ब्रांडिंग करने के विरोध में शहर के विभिन्न वर्गों के संबंधित लोग अनशन पर बैठे हैं, जिनकी मुलाक़ात सिटी मजिस्ट्रेट से हुई और सिटी मजिस्ट्रेट ने ब्रांडिंग न होने देने का आश्वासन भी दिया, पर वह यह बात न लिख कर देने को तैयार हुए और न ही मीडिया के समक्ष बोलने को तैयार हुए, तो अनशनकारी भी अनशन करने पर अड़े रहे। जिले भर में यह चर्चा आम चुकी है कि जब जनता महोत्सव का आयोजन नहीं चाहती, तो प्रशासन महोत्सव का आयोजन जबरन क्यूं करा रहा है?
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