इस चुनाव में तमाम राजनैतिक दलों और तमाम छोटे-बड़े नेताओं के चुनाव जीतने के परंपरागत हथकंडे बेकार साबित हो चुके हैं, इसके बावजूद सच स्वीकारने की जगह खुद की हार और नरेंद्र मोदी की जीत को लेकर नये-नये सिद्धांत गढ़ रहे हैं, जिससे भाजपा को पूर्ण बहुमत देने वाली जनता और अधिक झुंझलाती नज़र आ रही है। सच से बच रहे नेताओं के बारे में आम लोगों की प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर देखी जा सकती है। वैसे अभी यह कहना भी थोड़ा मुश्किल है कि गैर भाजपाई नेता सच जान कर छुपा रहे हैं या उन्हें सच का अहसास ही नहीं है। अगर, यह लोग सच जान कर छुपा रहे हैं, तो इनका राजनैतिक भविष्य और भी खराब हो सकता है और सच से वाकई अनिभिज्ञ हैं, तो ऐसे अकुशल राजनेताओं को राजनीति में रहने का कोई हक़ नहीं है, जो जनता की मनोदशा को भांप तक नहीं सके।
असलियत में नरेंद्र मोदी के नाम की लहर उन राज्यों में अधिक कामयाब रही, जिन राज्यों के शासकों की नज़र में मुस्लिम प्रथम नागरिक ही नहीं, बल्कि सर्वोपरि हैं और जिन राज्यों के मुख्यमंत्री प्रशासनिक रूप से भी असफल हैं। इन दोनों ही मामलों में उत्तर प्रदेश सब से आगे नज़र आ रहा है, इसीलिए नरेंद्र मोदी के नाम की लहर ने सब से अधिक असर इसी राज्य में दिखाया। उत्तर प्रदेश के हालात इतने बदतर हो चले हैं कि बहुसंख्यक वर्ग स्वयं को दोयम दर्जे का नागरिक महसूस करने लगा है। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े मामले में स्पष्ट गलती होने पर भी राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस मुस्लिमों का सिर्फ यह कह कर पक्ष लेती नज़र आती है कि सांप्रदायिक सद्भावना बिगड़ सकती है। ऐसे हालात कमोवेश हर थाना क्षेत्र में और हर जिले में हैं। जहां हिंदू-मुस्लिम आबादी बराबर है, वहां और भी बुरे हालात हैं। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से शुरू हुआ दंगा पुलिस की ऐसी ही सोच के चलते विकराल रूप लेता चला गया, लेकिन सब कुछ स्पष्ट होने के बावजूद कोई भी गैर भाजपाई दल और उनके नेता मुस्लिमों के विरुद्ध एक शब्द न बोलने को तैयार हुआ और न सुनने को, इसके अलावा दंगे के रूप में हुए मौत के तांडव में हर कोई तबाह और बर्बाद हुआ, पर उत्तर प्रदेश सरकार की सहानुभूति सिर्फ मुस्लिमों के प्रति रही। शासन स्तर से खुला पक्षपात किया गया। धर्म के आधार पर कानूनी कार्रवाई की गई और धर्म के आधार पर ही आर्थिक सहायता दी गई, लेकिन उत्तर प्रदेश के बड़े विपक्षी दल बसपा और केन्द्र की सत्ता पर आसीन कांग्रेस ने भी हिंदू पीड़ितों के प्रति संवेदना तक व्यक्त नहीं की। राष्ट्रीय लोकदल सहित अन्य सभी छोटे दलों और उनके नेताओं की भी पक्षपात पूर्ण भूमिका रही, इसलिए पीड़ित हिंदुओं की दृष्टि में सब दल एक समान हो गये और आक्रोश के कारण गुजरात दंगों से बनी कट्टर छवि के चलते नरेंद्र मोदी में पीड़ित हिन्दुओं को ऐसा नायक नज़र आने लगा, जो सिर्फ उनकी सुनेगा, जो सिर्फ उनके लिए लड़ेगा, जो मुस्लिमों का भले ही शोषण न करे, पर उनके साथ अन्याय नहीं होने देगा। एकतरफा मुस्लिम प्रेम के चलते शोषण कराने वाले दलों के विरुद्ध हिंदू जाति वर्ग की बेड़ियाँ तोड़ कर एकजुट हो गया, जिसका परिणाम अब सामने है ही। नरेंद्र मोदी की लहर में भाजपा को मिले बहुमत का सब से बड़ा कारण यही रहा।
अब बात करते हैं विकास की, तो विकास सिर्फ आर्थिक, राजनैतिक, भौगोलिक और वैज्ञानिक ही नहीं होता। धार्मिक, सांस्कृतिक और वैचारिक विकास भी होता है। गुजरात से विकास पुरुष की छवि बना चुके नरेंद्र मोदी पर अटूट विश्वास करने वाले वर्ग को यह भली-भांति पता है कि वह आर्थिक, राजनैतिक, भौगोलिक और वैज्ञानिक विकास तो करेंगे ही, साथ में इस वर्ग को यह भी आशा है कि धार्मिक, सांस्कृतिक और वैचारिक विकास कोई और कर ही नहीं पाता। सैकड़ों चैनलों के लाइव प्रसारण के समय और हजारों लोगों की भीड़ के बीच कोई ध्यान नहीं लगा सकता। जप, तप और हवन-पूजन नहीं कर सकता, ऐसा कुछ नरेंद्र मोदी ने भी नहीं किया, पर वह व्यस्ततम कार्यक्रम के बावजूद बनारस के मंदिर में गये और घाट पर गंगा आरती में भी सम्मलित हुए, ऐसे ही शुक्रवार को अहमदाबाद में जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने सवाल किया कि वह हिंदी में बोलें या गुजराती में, तो सामने खड़ी गुजरात की जनता ने गुजराती में ही बोलने को कहा, पर वह हिंदी में बोले, मतलब वह हिंदी, हिंदू और हिंदू संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड बनाने की राह पर चल रहे हैं।
इस सब पर वह बोलेंगे, तो विवाद होगा, इसलिए वह कह कुछ नहीं रहे हैं। नरेंद्र मोदी को बहुमत मिले अभी कुछ घंटे ही हुए हैं। वैधानिक दृष्टि से उन्हें अभी कोई दायित्व भी नहीं मिला है, पर कुछ ही घंटों में गैर भाजपाई नेताओं की गलत नीतियों के चलते शर्म के विषय बनते जा रहे हिंदी और हिंदू शब्दों को उन्होंने गर्व का विषय बना दिया है, जो बहुत बड़ी सफलता है, इस सफलता को मुस्लिमों से एकतरफा प्रेम करने वाले दलों के नेता महसूस भी नहीं कर सकते। मुस्लिमों का जीवन स्तर सुधारने के लिए नरेंद्र मोदी चाहे जो करें, पर हिन्दुओं की सब से बड़ी आशा यही है कि वह उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक नहीं बनने देंगे और अच्छे दिन आने का मूल आशय यही है कि हिन्दुओं को धर्म के आधार पर अब अपमानित नहीं होना पड़ेगा, इस आशय को भी गैर भाजपाई नेता नहीं समझ पा रहे हैं, तभी उल्टे-सीधे कटाक्ष कर रहे हैं।