परंपरा के चलते आज दो गाँवों के बीच हो सकती है भिड़ंत

परंपरा के चलते आज दो गाँवों के बीच हो सकती है भिड़ंत
यज्ञ सामग्री तांत्रिक के सिर पर रखने के लिए तैयार करते पात्र।
यज्ञ सामग्री तांत्रिक के सिर पर रखने के लिए तैयार करते पात्र।

बरसात के मौसम में जानवरों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए पीने का पानी, चारा और मिट्टी तो दूषित हो ही जाते हैं, साथ ही वातावरण में तमाम तरह के कीटाणु और विषाणु फैल जाते हैं, जो जानवरों के स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित करते हैं गला घोंटू, खुरपका और मुंहपका जैसे रोग तो आम तौर पर हो ही जाते हैं, इनमें कई तरह के रोग जानवरों के लिए जानलेवा भी साबित होते हैं, जिससे बचने के लिए पशु स्वामियों को समय से टीके लगवाने चाहिए एवं जानकार डॉक्टर से परीक्षण करा कर उचित दवा देनी चाहिए, इसके अलावा साफ चारे का प्रबंध करना चाहिए, इससे जानवर बिमारी से बच सकते हैं, लेकिन यह सब करने की जगह आज भी तमाम गाँवों में लोग मानते हैं कि जानवरों पर आसुरी शक्तियां हमला करती हैं, जिन्हें भगाने के लिए वे देवी को प्रसन्न करते हैं प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी बदस्तूर जारी है

उक्त परंपरा के तहत ही आज बदायूं जिले में स्थित इस्लामनगर थाना क्षेत्र के गाँव नूरपुर पिनौनी में यज्ञ आयोजित किया गया, जिसमें अधिकांश ग्रामीणों ने भाग लिया यह यज्ञ करने के लिए काफी पहले से तैयारी की जाती है एक स्वयं-भू कमेटी गठित की जाती है, जो घर-घर जाकर निश्चित चंदा वसूलती है रुपया जमा होने के बाद गाँव के प्राचीन मन्दिर (गवां देवत, गाँव देवता, देवी मन्दिर आदि) पर यज्ञ का आयोजन होता है, जो तंत्र विधि से किया जाता है, इसमें शराब की आहुति और मुर्गे की बलि दी जाती है

गेरू के जल से भरे ड्रम में खूंटे रंगते लोग।
गेरू के जल से भरे ड्रम में खूंटे रंगते लोग।

यज्ञ की औपचारिकता पूर्ण होने के बाद हवन कुंड के पास ही एक बड़े से ड्रम में गेरू घोल कर रखा जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में प्रत्येक पशु पालक ले जाता है एवं एक खूंटा भी रंगता है गेरू के जल में अपना हाथ भिगो कर लोग पशु की कमर पर हाथ का निशान बना देते हैं एवं खूंटा दरवाजे पर गाड़ देते हैं, जिससे आसुरी शक्ति घर में नहीं आती खूंटे के पास पुरानी मटकी भी रख देते हैं आधी रात के बाद तांत्रिक यज्ञ कुंड की अग्नि किसी मिट्टी के पात्र में भर कर अपने सिर पर रखता है और फिर पूरे गाँव की प्रत्येक सड़क व गली में दौड़ता है, उसके पीछे लाठी-डंडों के साथ अन्य तमाम तरह के हथियार लेकर दर्जनों लोग रहते हैं, जो तांत्रिक के साथ ही अजीब तरह की आवाजें निकालते हुए दौड़ते रहते हैं और सभी के दरवाजों पर रखी मटकियाँ फोड़ते हैं मटकी फूटने से आसुरी शक्ति डर जाती है पूरे गाँव में भ्रमण करने के बाद पहले से ही तय दिशा में दौड़ जाते हैं और उस दिशा के गाँव की सीमा में जाकर तांत्रिक के सिर पर रखी सामग्री पुनः हवन कर गड्डे में गाड़ आते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि उनके गाँव की बीमारी गाँव से चली गई, लेकिन दूसरे गाँवों के लोगों को लगता है कि यह लोग अपने गाँव की बीमारी उनके गाँव में छोड़ने आये हैं, इसलिए कई बार गोलीबारी की घटनायें हो चुकी हैं

यज्ञ का आयोजन बड़े ही गोपनीय तरीके से किया जाता है, क्योंकि जानकारी सार्वजनिक होते ही पड़ोसी गाँव के लोग सतर्क हो जाते हैं और अपने-अपने गाँव की सीमाओं पर पहरेदारी करने लगते हैं, जिससे झड़प होने की संभावनायें बढ़ जाती हैं हालाँकि इस यज्ञ को लेकर संपूर्ण गाँव एकमत नहीं रहता, लेकिन कोई विरोध भी नहीं करता है कुछ लोगों का कहना है कि इस सब से कुछ नहीं होता, लेकिन आस्था के कारण कोई विरोध नहीं करता, साथ ही परंपरागत व सामाजिक रूप लेने के कारण कोई रोड़ा नहीं अटकाना चाहता, लेकिन यह सब बंद होना चाहिए असलियत में आस्था व श्रृद्धा से ज्यादा यह तरीका कुछ लोगों की आमदनी का भी जरिया बना हुआ है यज्ञ के नाम पर प्रत्येक वर्ष मोटा चंदा जमा करते हैं और फिर कई दिन शराब आदि का सेवन मुफ्त में ही करते रहते हैं, लेकिन इस परंपरा से लोगों की जान भी जा सकती हैं आज आधी रात के बाद नूरपुर पिनौनी में जुलूस निकाला जायेगा और बाद में किसी गाँव की सीमा में तांत्रिक क्रिया की जायेगी, इस दौरान अगर उस गाँव के लोग आ गये, तो कुछ भी हो सकता है, इसलिए पुलिस को समय रहते हस्तक्षेप करना चाहिए

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