पेड़ से रोड जाम कर दिल्ली से बरेली जा रही बस में लूट

पेड़ से रोड जाम कर दिल्ली से बरेली जा रही बस में लूट
रोड जाम करने वाला पेड़ और मौके पर मौजूद एसएसपी सौमित्र यादव।
रोड जाम करने वाला पेड़ और मौके पर मौजूद एसएसपी सौमित्र यादव।

बदायूं जिले की पुलिस माफियाओं, दबंगों और नेताओं को बचाने में ही संपूर्ण ऊर्जा क्षय कर देती है, जिससे आम जनता की सुरक्षा करने लायक पुलिस के पास शक्ति बचती ही नहीं। माफिया, दबंग व नेता खुश हों, तो आम जनता की सुरक्षा और सेवा करने की जरूरत भी नहीं बचती, क्योंकि आम जनता पुलिस का कुछ नहीं कर सकती, लेकिन पुलिस की इस कार्यप्रणाली के दुष्परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं। क्राइम के ग्राफ में बदायूं रोज एक नया रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कर लेता है। दहशत के माहौल में जिले में चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है। आज तो अति ही हो गई। पूरी तरह से भयमुक्त दुस्साहसी बदमाशों ने दिल्ली से लौट रही प्राइवेट बस को रोड जाम कर रोक लिया और यात्रियों को लूट कर आराम से निकल गये।

दुस्साहसिक वारदात बदायूं जिले में स्थित वजीरगंज थाना क्षेत्र के गाँव बरौर और कसेर के बीच की है। बताते हैं कि सुबह चार बजे के करीब रोड पर पेड़ गिरा नजर आया, तो चालक ने प्राइवेट बस संख्या- यूपी 22 टी 7684 रोक दी। बस रुकते ही खेतों में छुपे बैठे सात-आठ सशस्त्र बदमाश बस की ओर दौड़ पड़े और उन्होंने बस कब्जे में ले ली। डरा धमका कर बदमाश यात्रियों से नकदी, जेबर और कीमती सामान लूटने लगे। यात्रियों को लूटने के बाद आसानी से बदमाश निकल भी गये, उन्हें रोकने-टोकने के लिए दूर तक पुलिस नहीं थी।

घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई, वहीं पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही सीओ बिसौली, अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक घटना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने चालक-परिचालक और यात्रियों से घटना के संबंध में जानकारी ली। संभल निवासी परिचालक शाहिद ने घटना से संबंधित तहरीर दी है, लेकिन तहरीर में रोड पर पेड़ डालने का उल्लेख नहीं किया गया है।

उक्त घटना ने भ्रष्टाचार का भी बड़ा खुलासा किया है। उक्त बस दिल्ली से चल कर गुन्नौर, सहसवान, बिल्सी, कुंवरगांव, मूसाझाग होते हुए बरेली जिले के कस्बा आंवला तक जाती है, जबकि इस तरह से बस चलाने का परमिट जारी नहीं किया जाता है। यह भी जांच का विषय है कि प्राइवेट बसें कौन चलवा रहा है और कौन-कौन इस घपले में संलिप्त हैं? लाखों रूपये महीने की सरकार को राजस्व की हानि हो रही थी, लेकिन यह घटना नहीं होती, तो पुलिस प्रशासन की ओर से कोई अफसर इस तरह बसों के संचालन की बात स्वीकार नहीं करता।

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