सूचना भवन के हॉल पर कब्जा, संघर्ष का दंभ करने वाले पत्रकार संगठन मौन

सूचना भवन के हॉल पर कब्जा, संघर्ष का दंभ करने वाले पत्रकार संगठन मौन
सूचना भवन का हॉल गोदाम बन गया है, जिसमें बैठने को जगह नहीं बची है।

बदायूं स्थित कलेक्ट्रेट में विधान मंडल के नक्शे पर आलीशान भवन बनवाया गया है, उसी दौरान सूचना भवन भी बनवाया गया था। उत्तर प्रदेश में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री और गुन्नौर विधान सभा क्षेत्र से विधायक थे, तब उन्होंने यह सब कराया था, इसके बावजूद प्रशासन की कुदृष्टि सूचना भवन पर ही जमी रहती है। सूचना भवन एक बार फिर कब्जाया जा रहा है, लेकिन पत्रकार हित में संघर्ष करने का दंभ भरने वाले संगठन मौन धारण किये हुए हैं।

सूचना भवन में एक सूचना निदेशक का कार्यालय, एक स्टाफ रूम और दो हॉल हैं, जिसमें से एक हॉल में पत्रावली रहती हैं और अखबार कटिंग का कार्य होता है। मात्र एक हॉल ऐसा है, जिसमें पत्रकार बैठ सकते हैं, लेकिन इस हॉल पर प्रशासन की कुदृष्टि जमी रहती है। कलेक्ट्रेट भवन के निर्माण के समय पुराने भवन तोड़ दिए गये, तब इस हॉल को एडीएम (वित्त) का कार्यालय बना दिया गया। कहा गया कि कलेक्ट्रेट भवन बनने के बाद एडीएम (वित्त) का कार्यालय हटा दिया जायेगा, इसके अलावा प्रत्येक चुनाव में इस हॉल को ले लिया जाता है। चुनावी मजबूरी महसूस की जा सकती है, लेकिन अब हमेशा के लिए हॉल छीनने का प्रयास किया जा रहा है।

बदायूं जिले में एडीएम (न्यायिक) का पद सृजित किया गया है, जिन्हें सूचना भवन का हॉल दिया जा रहा है। करोड़ों रूपये से बनाया गया कलेक्ट्रेट भवन निरर्थक साबित हो रहा है। सूचना भवन का एक हॉल छीनने के बाद पत्रकारों को बैठने के लिए जगह नहीं बची है, क्योंकि दोनों हॉल का सामान एक हॉल में ही जमा कर दिया गया है, जिससे वह गोदाम बन गया है। चार महीने पहले किशोर न्यायालय को देने के लिए आदेश कर दिया गया था, तब सांसद धर्मेन्द्र यादव ने डीएम से स्पष्ट कह दिया था कि सूचना भवन का हॉल न लिया जाये, पर अब पत्रकारों की सुनने वाला कोई नहीं है। पत्रकारों के हित में संघर्ष करने का दावा करने वाले पत्रकारों के संगठन भी मौन धारण किये हुए हैं।

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