भाजपा के प्रांतीय नेता ने जितेन्द्र यादव से ली है बड़ी रकम

भाजपा के प्रांतीय नेता ने जितेन्द्र यादव से ली है बड़ी रकम
बदायूं में पुलिस ऑफिस पर जितेन्द्र यादव।
बदायूं में पुलिस ऑफिस पर जितेन्द्र यादव।

भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े प्रांतीय नेता व आरएसएस के एक पदाधिकारी ने मोटी रकम लेकर जितेन्द्र यादव को न सिर्फ पार्टी ज्वाइन करा दी, बल्कि बदायूं विधान परिषद क्षेत्र से टिकट भी दिला दिया। प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की गहमा-गहमी में इस ओर भाजपा में किसी ने ध्यान ही नहीं दिया, जबकि अधिकांश लोग चकित नजर आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बाहुबलि व धनबलि के रूप में कुख्यात डी.पी. यादव के जितेन्द्र यादव भतीजे हैं। जितेन्द्र यादव बसपा के टिकट पर बदायूं विधान परिषद क्षेत्र से पिछली बार सदस्य चुने गये, इस बीच उन पर भी दबंगई, गुंडई करने के साथ जमीन कब्जाने जैसे गंभीर आरोप लगे, तो बहुजन समाज पार्टी ने जितेन्द्र यादव को हाल ही में पार्टी से बाहर निकाल दिया। बसपा से आउट होने के बाद जितेन्द्र यादव बैनर के लिए छटपटाने लगे। सूत्रों का कहना है कि आरएसएस के एक पदाधिकारी के सहारे भाजपा के एक प्रभावशाली प्रांतीय नेता ने मोटी रकम लेकर जितेन्द्र यादव को न सिर्फ भाजपा ज्वाइन करा दी, बल्कि एमएलसी का टिकट भी दिला दिया।

जिला बदायूं समाजवादी पार्टी का गढ़ है और लोकप्रिय व युवा सांसद धर्मेन्द्र यादव के कारण बदायूं से अन्य सभी दलों को पैर रखने को भी जमीन नहीं मिल पा रही है, इसीलिए यहाँ जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो गई, ऐसे ही विधान परिषद सदस्य के लिए सपा से बनवारी सिंह यादव निर्विरोध निर्वाचित होने वाले थे, लेकिन बदायूं जिले में जितेन्द्र यादव को प्रत्याशी बना कर रूपये लेने वाले भाजपा के प्रांतीय नेता ने अपने नंबर भी बढ़ा लिए, साथ ही प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की गहमा-गहमी में भाजपा में किसी ने इस ओर बहुत ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया।

उधर जितेन्द्र यादव का उद्देश्य एमएलसी बनना नहीं है, उन्हें सशक्त बैनर की तलाश थी, साथ ही उनका लक्ष्य विधान सभा चुनाव है, उन्हें भी अच्छी तरह ज्ञात होगा कि वे विधान परिषद सदस्य का चुनाव नहीं जीत सकते, लेकिन इस हार के बदले वे विधान सभा चुनाव में टिकट मांगेगे।

विधान सभा चुनाव में टिकट निश्चित हो जाये, इसीलिए वे सम्मानजनक हार के लिए मेहनत करते नजर आ रहे हैं, साथ ही आरोप-प्रत्यारोप के सहारे इतना चर्चित होना चाहते हैं कि भाजपा नेतृत्व के समक्ष वे यह सिद्ध कर सकें कि सत्ता द्वारा उनका शोषण भी किया गया था, इसीलिए वे प्रचार से अधिक प्रशासनिक अफसरों और सपा नेताओं पर आरोप लगाने पर मेहनत करते नजर आ रहे हैं। यहाँ यह भी बता दें कि डी.पी. यादव 20 फरवरी 2004 को भाजपा में सम्मलित हुए, तो बड़ा बवाल हुआ और कुछ ही घंटों बाद पार्टी से निकाल दिए गये, इसके अलावा हरियाणा के शहर अंबाला में लोकसभा चुनाव से पूर्व अक्टूबर 2014 में अमित शाह के साथ मंच पर डी.पी. यादव भी नजर आ गये थे, इस पर भी बड़ा बवाल हुआ था और भाजपा मौन साध गई थी, इसीलिए जितेन्द्र यादव के भाजपा में सम्मलित होने से अधिकांश लोग चकित हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि एमएलसी चुनाव के परिणाम पर जितेन्द्र यादव का भविष्य निर्भर है, वे चुनाव हारे, तो भाजपा भी उन्हें पार्टी से निकाल देगी।

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