लोकेश विहिप के नेताओं की सिफारिश पर बना रिपोर्टर

लोकेश विहिप के नेताओं की सिफारिश पर बना रिपोर्टर

                खुलासा

– स्वर्गीय नरेंद्र मोहन ने बनाया था संवाद सूत्र

– बवाल करने को कुख्यात है बड़बोला लोकेश

– होटल से पहले गेस्ट हाउस में कराया था हंगामा

– मानदेय हड़पने के आरोप में हरदोई से हटा था 

– मारपीट करने के चलते कानपुर से बदायूं भेजा

जंगल में टुन्न अवस्था में बैठे लोकेश का फाइल फोटो
जंगल में टुन्न अवस्था में बैठे लोकेश का फाइल फोटो

बदायूं के दैनिक जागरण कार्यालय में ब्यूरो चीफ के पद पर तैनात लोकेश के बारे में एक और खुलासा हुआ है। 14 अगस्त की रात में होटल रीजेंसी में बवाल करने से पहले सरकारी गेस्ट हाउस में भी हंगामा किया था, जो प्रशासनिक अधिकारियों के भी संज्ञान में है, जिससे लोग अब आम तौर पर यह सवाल करने लगे हैं कि ऐसे बवाली व्यक्ति को ब्यूरो चीफ जैसे प्रतिष्ठित पद पर रखने की जागरण की क्या मजबूरियां हैं?

उल्लेखनीय है कि बदायूं के दैनिक जागरण कार्यालय में ब्यूरो चीफ के पद पर तैनात लोकेश ने एक अन्य रिपोर्टर के साथ मिल कर लाबेला चौक स्थित प्रतिष्ठित होटल रीजेंसी में 14-15 अगस्त की रात में जमकर बवाल किया था। बताया जाता है कि शराब के नशे में धुत लोकेश साथी रिपोर्टर के साथ आधी रात में कमरा लेने पहुंचा था, पर प्रबंधक द्वारा आईडी प्रूफ मांग लेने पर बवाल शुरू कर दिया। प्रबंधक ने हंगामा करने से मना किया, तो उसके साथ बदतमीजी भी की। इतना ही नहीं, होटल में वेश्यावृति होने की झूठी खबर देकर पुलिस को भी बुला लिया। सदर कोतवाली पुलिस के साथ सीओ सिटी ने खुद होटल को कई बार खंगाला, लेकिन होटल में ऐसा कुछ नहीं मिला, इसके बावजूद लोकेश ने पुलिस के सामने ही होटल के प्रबंधक के साथ बदतमीजी की। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने लोकेश और साथी रिपोर्टर को घर भेज दिया, पर बेवजह हुई बदतमीजी और हंगामे से आक्रोशित प्रबंधक ने सदर कोतवाली में रात में ही नामजद तहरीर दे दी थी। पुलिस पर कार्रवाई करने का दबाव बन रहा था और पुलिस कार्रवाई करने को तैयार भी थी, जिसकी भनक किसी तरह लोकेश को लग गई। भयभीत लोकेश एक सपा नेता की शरण में चला गया, तो सपा नेता की सिफारिश के चलते पुलिस ठंडी पड़ गई। हाल ही में खुले मेगा मार्ट शोरूम की लोकेश ने फर्जी खबर छापी थी। मेगा मार्ट शोरूम पंजाबी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति का है और अब जिस होटल रीजेंसी में लोकेश ने बवाल किया है, वह भी पंजाबी समाज के ही प्रतिष्ठित व्यक्ति का है, जिससे लोकेश के प्रति समाज के अधिकाँश लोग आक्रोशित हैं।

उधर गली के छिछोरों की तरह हरकतें करने वाले बवाली लोकेश के बारे में सूत्रों का कहना है कि यह जहां भी रहा है, वहां ऐसे ही बवाल करने को कुख्यात है। हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और कानपुर में इसके किस्से याद कर लोग आज भी चर्चा करते देखे जा सकते हैं। हरदोई के बारे में बताया जाता है कि यहाँ संवाददाताओं का मानदेय हड़पने के आरोप में इसे हटाया गया था। सूत्रों का यह भी कहना है लोकेश रिपोर्टिंग से पहले विश्व हिन्दू परिषद् के नेताओं की चमचागिरी करता था और धीरे-धीरे फैजाबाद में विहिप के मीडिया प्रभारी पद तक पहुँच गया। उस दौरान जागरण के स्वर्गीय नरेंद्र मोहन के पास विहिप के बड़े नेताओं का आवगमन रहता था, तभी फैजाबाद निवासी लोकेश ने विहिप के एक नेता से अपने लिए रिपोर्टर बनाने की सिफारिश कराई थी। विहिप नेताओं की सिफारिश पर स्वर्गीय नरेंद्र मोहन ने इसे संवाद सूत्र बना दिया था। सूत्रों का कहना है कि नेताओं और अफसरों की चमचागिरी करने में शुरू से ही माहिर लोकेश ने बिहार के सीपी ठाकुर की सिफारिश पर हिंदी संस्थान में भी सदस्यता पा ली थी। पिछले दिनों कानपुर में डेस्क प्रभारी के पद पर था, तब मारपीट और बवाल करने के चलते ही इसे बदायूं भेजा गया। बदायूं कार्यालय में कार्यभार ग्रहण कराने के लिए बरेली के महाप्रबंधक और संपादक स्वयं आये थे और कार्यभार ग्रहण करने के बाद लोकेश ने खुद को संपादक ग्रेड के रूप में प्रचारित करते हुए जगह-जगह कहा था कि वह महेंद्र मोहन और संजीव गुप्ता का बेहद करीबी है। बरेली यूनिट की स्थितियां बेहद ख़राब हैं, इसलिए यहाँ की निगरानी के लिए उसे भेजा गया है। चूँकि किसी अख़बार में ब्यूरो चीफ को संपादक और महाप्रबंधक कार्यभार ग्रहण कराने नहीं आते, इसलिए अधिकाँश लोगों ने लोकेश की एक-एक बात सच मानी। कार्यभार ग्रहण करने के बाद लोकेश की मनमानी हर दिन बढ़ती गई। आफिस और क्षेत्र के रिपोर्टर्स को बंधुआ मजदूरों की तरह इस्तेमाल करने लगा। सभी की बायलान बंद कर दी और अपनी हर दिन छापी, लेकिन महेंद्र मोहन और संदीप गुप्ता का राईट हेंड बताने के चलते सभी मौन रहे और शोषण सहते रहे, लेकिन अब सभी जान गए हैं कि यह बवाली और बड़बोले से अधिक कुछ नहीं हैं।

खैर, अब अधिकाँश लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि एक प्रतिष्ठित अखबार के चपरासी के विरुद्ध कार्रवाई करने से पहले पुलिस सोचेगी, ऐसे में लोकेश तो ब्यूरो चीफ है, लेकिन जागरण की ऐसी क्या मजबूरी है, जो पत्रकारिता को लगातार कलंकित करने वाले को बर्खास्त नहीं कर रहा।

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