मुख्यमंत्री के भाई का रूम मेट होना ही है कानून

मुख्यमंत्री के भाई का रूम मेट होना ही है कानून
  • सांसद धर्मेन्द्र यादव के रूम मेट रहे हैं प्रभारी डीपीआरओ राजेश यादव
  • प्रधान की पावर सीज कर अवैध तरीके से किया राशन डीलर का प्रस्ताव
सांसद धर्मेन्द्र यादव के आवास पर दो दिन पूर्व आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी गुहार किसी ने नहीं सुनी
सांसद धर्मेन्द्र यादव के आवास पर दो दिन पूर्व आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी गुहार किसी ने नहीं सुनी

मुख्यमंत्री के भाई का कोई रूम मेट हो, तो उसके लिए न कोई नियम रहता है और न ही कोई कानून। वो जो कर दे, वही नियम है और वही कानून। इससे भी बड़े आश्चर्य की बात यह है कि इस अंधेरगर्दी के खिलाफ कोई सुनने वाला तक नहीं है, जबकि सैकड़ों लोग ब्लाक स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक के अधिकारीयों के सामने लगातार गुहार लगा रहे हैं।

बदायूं के प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी राजेश यादव के बारे में कहा जाता है कि इलाहाबाद में पढ़ते समय वह मुख्यमंत्री के अनुज सांसद धर्मेन्द्र यादव के रूम मेट रहे हैं, इसीलिए वह प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी के साथ तीन विकास खंडों के खंड विकास अधिकारी भी हैं, इससे पहले मनरेगा में उपायुक्त का पद भी संभाल चुके हैं। आरोप है कि राजेश यादव ने बेहटा जबी के प्रधान अभिषेक कुमार सिंह की एक दिन के लिए पावर सीज कर दी और एडीओ (पंचायत) वीरपाल की अध्यक्षता में कार्रवाई लिख कर झोलाझाप डाक्टर से सपा नेता बने डोरी लाल बघेल के नाम राशन डीलर का फर्जी प्रस्ताव करा दिया, जबकि सैकड़ों ग्रामीण बीडीओ, एसडीएम और डीएम के साथ सांसद के आवास पर भी गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

सवाल यह उठता है कि प्रभारी डीपीआरओ राजेश यादव ने प्रधान की पावर सीज क्यूं की? पावर सीज करने से पहले ब्लाक व जिला स्तरीय जांच क्यूं नहीं कराई गई? पावर सीज करने का जो भी कारण था, उसके क्रम में प्रधान से स्पष्टीकरण क्यूं नहीं माँगा? ऐसे ही और भी तमाम सवाल हैं, लेकिन कोई जवाब देने को तैयार नहीं है, क्योंकि सांसद के रूम मेट होने की हैसियत से वह जो आदेश कर दें, वही नियम है और वही कानून। इन सब सवालों के जवाब के लिए उनसे बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद बात नहीं हो पाई।

उधर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी का कहना है कि पावर सीज नहीं की गई है, लेकिन प्रधान के अनुपस्थित होने के कारण एडीओ (पंचायत) की अध्यक्षता में बैठक बुलानी पड़ी, जबकि प्रधान लगातार अधिकारियों से मिल कर शिकायत कर रहा है और उसकी कोई सुन भी नहीं रहा है।

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